Book Title: Devindatthao
Author(s): Subhash Kothari, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan

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Page 204
________________ व्याकरणिक विश्लेषण 131 219. थोवा ( थोव ) 1/2 विमाणवासी ( विमाणवासि ) 1/2 भोमेज्जा ( भोमेज्ज ) 1/2 वाणमंतरमसंखा [( वाणमंतरं )+ ( असंखा)] वाणमंतरं ( वाणमंतर ) 2/1 असंखा ( असंख ) 1/2 तत्तो (अ) = उससे संखेज्जगुणा ( संखेज्जगुण ) 1/2 जोइसवासी ( जोइसवासि ) 1/2 भवे ( भव ) व 3/2 अक देवा ( देव )1/2 220. पत्तयविमाणाणं* [( पत्तेय )- (विमाण ) 6/2] देवोणं ( देवि) 6/2 छन्भवे [(छ) + (भवे)] छ (छ) 1/2 भवे (भव) व 3/2 अक सयसहस्सा (सयसहस्स) 1/2 सोहम्मे (सोहम्म) 7/1 कप्पम्मि (कप्प) 7/1 उ (अ) = पादपूर्ति ईसाणे (ईसाण) 7/1 होति (हो) व 3/2 अक चत्तारि ( चउ) 1/2 * कभी-कभी षष्ठी विभक्ति का प्रयोग सप्तमो विभक्ति के स्थान पर होता है (हेम प्राकृत व्याकरण 3/134) 221. पंचेवऽणुत्तराई [ (पंच ) + ( एव ) + ( अणुतराइं) ] पंच ( पंच ).1/2 एव ( अ ) = ही अणुत्तराई ( अणुत्तर ) 1/2 अणुत्तरगईहिं [ ( अणुत्तर)- ( गइ ) 3/2 ) जाइ (जाइ) 2/1 विट्ठाइं (दिट्ठ) 1/2 ] जत्य ( अ ) - जहाँ पर अणुत्तरदेवा * [ ( अणुत्तर)- ( देव ) 1/2 ] भोगसुहं ( भोगसुह ) 2/1 अणु वमं ( अणुवम ) 2/1 पत्ता (पत्त) भकू 1/2 अनि 222. जत्थ ( अ ) = जिस प्रकार अणुत्तरगंधा [ ( अणुत्तर)- ( गंघ ) . 1/2 ] तहेव ( अ ) = उसी प्रकार रूवा (रूव) 1/2 अणुत्तरा (अणुत्तर) 1/2 सदा ( सद्द) 1/2 अच्चित्तपोग्गलाणं [(अच्चित) --- ( पोग्गल ) 6/2 ] रसो ( रस ) 1/1 य ( अ ) = और फासो ( फास ) 1/1 य ( अ) = पादपूरक गंधो ( गंध ) 1/1 य (अ) _ = पादपूरक - 223. पप्फोडियकलिकलुसा [ (पप्फोडिय)-( कलिकलुस) 5/1 ] पप्फोडियकमलरेणुसंकासा [ ( पप्फोडिय) - (कमल ) - ( रेणु ) - ( संकास ) 1/2 ] वरकुसुममहुकरा [ ( वर ) - ( कुसुम ) - ( महुकर ) 1/2 ] इव ( अ ) = समान सुहमयरंदं [ ( सुहु)

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