Book Title: Devindatthao
Author(s): Subhash Kothari, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan

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Page 203
________________ 130 देविदत्थओ 214. पागारपरिक्खित्ता [( पागार ) - ( परिक्खित्त ) 1/2] वट्टविमाणा [( वट्ट )- (विमाण ) 1/2] हवंति ( हव ) व 3/2 अक सव्वे ( सव्व ) 1/1 स वि ( अ ) = भी चउरंसविमाणाणं [( चउरंस ) - (विमाण ) 6/2] चउद्दिसि ( अ ) = चारों दिशाओं में वेइया (वेइया )1/1 भणिया ( भण ) भूक 1/1 . 215. जत्तो (अ) = जिससे वट्टविमाणं [( वट्ट)-(विमाण ) 1/1] तत्तो ( अ ) = उससे तंसस्स ( तंस ) 6/1 वेइया ( वेइया) 1/1 होइ ( हो) व 3/1 अक पागारो (पागार ) 1/1 बोधव्वो ( बोधव्व ) विधि कृ 1/1 अनि अवसेसाणं ( अवसेस }6/2 तु (अ) = पादपूर्ति पासाणं ( पासाण ) 1/1 216. जे ( अ ) = पादपूर्ति पुण ( अ ) = पादपूर्ति वट्टविमाणा [( वट्ट) -(विमाण ) 1/2 ] एगदुवारा [ ( एग)- (दुवार ) 1/2] हवति ( हव ) व 3/2 अक सम्वे ( सव्व ) 1/1 स वि ( अ )= पादपति तिनि (ति) 1/2] य (अ) = और तंसविमाणे [( तंस )- ( विमाण ) 1/1] चत्तारि (चउ) 1/2 य (अ) = और होंति ( हो ) व 3/2 अक चउरंसे ( चउरंस ) 7/1 217. सत्तेव [( सत्त)+ ( एव )] सत्त ( सत्त.) 1/1 एव (अ ) = ही य (अ) = और कोडीओ ( कोडि ) 5/1 हवंति ( हव ) व 3/2 अक बावरि* ( बावत्तरि) 2/1 सयसहस्सा (सयसहस्स) _1/2 एसो ( एस ) 1/1 स भवणसमासो [( भवण)- ( समास) 1/1 ] भोमेज्जाणं ( भोमेज्ज) 6/2 सुरवराणं (सुरवर) 6/2 * कभी-कभी प्रथमा के स्थान पर द्वितीया का सद्भाव पाया जाता है / ( हेम प्राकृत व्याकरण 3.137 वृत्ति ) 218. तिरिओववाइयाणं [ ( तिरिअ ) - ( ओववाइय ) 6/2] रम्मा ( रम्म ) 1/2 भोमनगरा ( भोमनगर ) 1/2 असंखेज्जा ( असंखेज्ज ) 1/2 तत्तो ( अ ) = उससे संखेज्जगुणा ( संखेज्जगुण) 1/2 जोइसियाणं ( जोइसिय ) 6/2 विमाणा (विमाण) 1/2 उ ( अ ) = पादपूर्ति

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