Book Title: Devindatthao
Author(s): Subhash Kothari, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan

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Page 206
________________ व्याकरणिक विश्लेषण 133 228. संवच्छरस्स ( संवच्छर ) 6/1 सुंवरि ! ( सुदरी ) 8/1 मासाणं ( मास ) 6/2 अद्धपंचमाणं* ( अद्धपंचम ) 6/2 च ( अ ) = और उस्सासो ( उस्सास ) 1/1 देवाणं ( देव ) 6/2 अणुत्तरविमाण वासोणं [ ( अणुत्तरविमाण )- ( वासि ) 6/2 ] *कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का भी प्रयोग होता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3/134) / 229. अट्ठमेहि ( अट्ठम ) 3/2 राइविएहिं (राइदिय) 3/2 अहि ( अट्ठ) 3/2 य ( अ ) = और सुतणु! ( सुतणु ) 8/1 मासेहि ( मास ) 3/2 उस्सासो ( उस्सास) 1/1 देवाणं ( देव ) 6/2 मज्झिममाउं [ ( मज्झिमं)+ (आउं) ] मज्झिमं (मज्झिम ) 2/1 आउ (आउ ) 2/1 घरेताणं (धर ) वक 6/2 230. सत्तण्हं ( सत्त ) 6/2 थोवाणं ( थोव ) 6/2 पुण्णाणं* ( पुण्ण ) 6/2 पुण्णयंदसरिसमुहे ! [(पुण्णचंद ) - (सरिस)- ( मुह )8/1] ऊसासो ( ऊसास ) 1/1 देवाणं ( देव ) 6/2 जहन्नमाउं [(जहन्न) + ( आउ)] जहण्णं ( जहन्न ) 2/2 आउ (आउ) 2/1 धरताणं (धर ) वकृ 6/2 *"कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है / (हेम प्राकृत व्याकरण 3/134) 231. जइसागरोवमाइं[(जई)-(सागरोवमाई)] जई (अ) = यदि सागरोवमाइं ( सागरोवम ) 1/2 जस्स (ज) 6/1 स ठिई (ठिइ) 1/1 तत्तिएहि ( तत्तिअ) 3/2 पक्खेहिं* (पक्ख ) 3/2 ' ऊसासो ( ऊसास ) 1/1 देवाणं** (देव) 6/2 वाससहस्सेहि* (वाससहस्स ) 3/2 आहारो ( आहार) 1/1 * कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर तृतीया विभक्ति का भी प्रयोग होता है / (हेम प्राकृत व्याकरण, 3/137 वृत्ति)। ** कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग भी होता है / (हेम प्राकृत व्याकरण 3/134) . -

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