Book Title: Devindatthao
Author(s): Subhash Kothari, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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________________ व्याकरणिक विश्लेषण 135 237. संखेज्जजोयणा [ ( संखेज्ज )- ( जोयण ) 1/2 ] खलु ( अ ) निश्चय देवाणं ( देव ) 6/2 अद्धसागरे ( अद्धसागर ) 2/2 ऊणे (ऊण ) 2/2 तेण ( त ) 3/1 स परमसंखेज्जा [ ( परम ) - ( संखेज्ज ) 1/2 ] जहन्नयं ( जहन्नय ) 1/1 पन्नवीसं ( पन्नवीस ) 2/1 तु (अ) = पादपूति 238. तेण ( त ) 3/1 स परमसंखेज्जा [ ( परम )- ( संखेज्ज ) 1/2] तिरियं ( तिरिय ) 2/1 दीवा ( दीव ) 1/2 य ( अ ) = और सागरा ( सागर ) 1/2 चेव [ (च ) + ( एव ) ] च ( अ )और एव ( अ ) = निश्चय बहुययरं [ (बहु ) - ( ययर ) 1/11 उवरिमया ( उवरिमय ) 1/2 उड्ढं ( उड्ढ ) 1/1 तु (अ) = पादपूरक सकप्पथूभाई [ ( सकप्प) - (थूभ ) 1/2 ] 239. नेरइय-देव-तित्थंकरा [ ( नेरइय ) - (देव ) - (तित्थंकर ) 1/2] य (अ) = और ओहिस्सऽबाहिरा [(ओहिस्स) + (अबाहिरा)] ओहिस्स** (ओहि) 6/1 अबाहिरा ( अ- बाहिर ) 1/2 वि होंति (हो) व 3/2 अक पासंति (पास) व 3/2 सक सव्वाओ (सव्व) 1/1 स खल ( अ ) = निश्चयात्मक सेसा ( सेस ) 1/2 देसेणं* ( देस ) 3/1 पासंति (पास ) व 3/2 सक कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर तृतीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। ( हेम प्राकृत व्याकरण, 3/137वृत्ति) कभी-कभी द्वितीया के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। . (हेम प्राकृत व्याकरण, 3/134) 240. ओहिन्नाणे ( ओहिन्नाण ) 1/1 विसओ ( विसअ) 1/1 एसो (एत) 1/1 स मे ( अम्ह ) 3/1 स वण्णिओ ( वण्ण ) भूकृ 1/1 समासेणं ... (समास ) 3/1 बाहल्लं (बाहल्ल ) 21 उच्चत्त ( उच्चत्त ) 2/1 विमाणवन्नं [ ( विमाण )- ( वण्ण ) 2/1 ] पुणो (अ) = पुनः वोच्छं* ( वोच्छं ) भ 1/1 सक भविष्यकाल में धातु सहित प्रत्यय का 'वोच्छं' बनता है। (हेम प्राकृत व्याकरण सूत्र 3/171)

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