Book Title: Devindatthao
Author(s): Subhash Kothari, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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________________ 128 देविदत्थओ स्सा ( सहस्स ) 1/2 उड्ढलोए ( उड्ढलोअ) 7/1 विमाणाणं (विमाण) 6/2 * कभी-कभी प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137, वृत्ति) 206. उणाणउई (अउणाणउइ) मूलशब्द 1/2 सहस्सा (सहस्स) 1/2 चउरासीई* (चउरासीइ ) 2/1 च ( अ ) = और सयसहस्साई (सयसहस्स) 1/2 एगणयं ( एगणय ) 1/1 दिवढं ( दिवढ) 1/1 सयं ( सय ) 1/1 च (अ) = और पुप्फावकिण्णाणं** [ (पुफ)- व (अ) = पादपूरक ( किण्ण ) 6/2 ] * कभी-२ प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का सद्भाव पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण, 3-137 वृत्ति) ** कभी-कभी समास पद में दीर्घ का ह्रस्व हो जाता है / 207. सत्तेव [ ( सत्त ) + (एव) ] सत्त ( सत्त) मूलशब्द 1/2 एव ( अ ) - पादपूर्ति सहस्साई ( सहस्स ) 1/2 सयाई ( सय ) 1/2 चोवत्तराई ( चोवत्तर ) 1/2 अट्ठ ( अट्ठ ) मूलशब्द 1/2 भवे ( भव ) व 3/2 अक आवलियाइ ( आवेलिआ ) 1/2 विमाणा ( विमाण ) 1/2 सेसा ( सेस ) 1/2 पुप्फावकिण्णा [ (पुप्फ) - व (अ) = पादपूरक - (किण्ण ) 1/2 ] णं ( अ ) = वाक्यालंकार 208. आवलियविमाणाणं [( आवलिय )- (विमाण) 6/2] तु ( अ ) = पादपूर्ति अंतरं ( अंतर ) 1/1 नियमसो ( अ ) = निश्चय से असंखेज्जं ( असंखेज्ज ) 1/1 संखेज्जमसंखेज्ज [ ( संखेज्ज) + ( असंखेज्जं)] [ ( संखेज्ज ) - ( असंखेज्ज ) 1/1 ] भणियं (भण ) भूकृ 1/1 पुप्फावकिनाणं [ ( पुप्फ ) - व ( अ ) = पाद पूरक ( किण्ण ) 6/2] 209. अवलियाइ ( आवलिय ) 1/2 विमाणा (विमाण ) 1/2 वट्टा ( वट्ट ) 1/2 तंसा ( तंस ) 1/2 तहेव ( अ ) = उसी प्रकार चउ
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