________________ देवेन्द्रस्तव 110. एक लाख तैंतीस हजार नौ सौ पचास कोटाकोटि' तारागण (जम्बूद्वीप में) होते हैं। 111. लवण समुद्र (के ऊपर के क्षेत्र) में चार चन्द्र, चार सूर्य, एक सौ बारह नक्षत्र और इसी तरह तीन (सौ) बावन ग्रह (भ्रमण करते हैं)। 112. लवण समुद्र के ऊपर दो लाख सड़सठ हजार नौ सौ कोटाकोटि तारागण (भ्रमण करते हैं)। 113. धातकी खण्ड द्वीप में चौबीस चन्द्र और सूर्य (अर्थात् बारह चन्द्र और बारह सूर्य) तीन सौ छत्तीस नक्षत्र और एक हजार छप्पन ग्रह (होते हैं)। - 114. धातकी खण्ड द्वीप में आठ लाख तीन हजार सात सौ कोटाकोटि तारागण (होते हैं)। 115. इस कालोदधि समुद्र (के ऊपर के क्षेत्र) में किरणों से युक्त तेजस्वी बयालीस चन्द्र और बयालीस सूर्य विचरण करते हैं। . 116. (इसमें) एक हजार एक सौ छिहत्तर नक्षत्र और तीन हजार छ: सौ छियानबे सूर्य आदि ज्योतिष्क-देव (हैं)। ___ 117. कालोदधि समुद्र के ऊपर अट्ठाईस लाख बारह हजार नौ सौ पचास कोटाकोटि तारागण (होते हैं)। 1. करोड़ का करोड़ से गुणा करने पर जो संख्या आती है उसे कोटाकोटि कहा जाता है।