Book Title: Devindatthao
Author(s): Subhash Kothari, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan

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Page 182
________________ व्याकरणिक विश्लेषण सक सहस्साई ( सहस्स) 1/2 दो (दो) 1/2 य ( अ ) = और सय ( सय ) मूलशब्द 1/2 पुक्खरद्धे (पुक्खरद्ध ) 7/1 तारागणकोडिकोडोणं [ ( तारा )- ( गण ) - ( कोडिकोडि ) 6/2] कभी-कभी प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है / ( हेम प्राकृत व्याकरण 3/137, वृत्ति ) 124. बत्तीसं (बत्तीस ) 1/1 चदंसयं [ ( चंद)- ( सय ) 1/1] बत्तीसं ( बत्तीस ) 1/1 चेव [ ( च ) + ( एव) ] च ( अ ) = और एव ( अ ) = ही सूरियाण ( सूरिय ) 6/2 सयं ( सय )1/1 सयलं ( सयल ) 1/1 मणुस्सलोयं [ ( मणस्स)- ( लोय ) 1/1] चरंति (चर) व 3/2 सक एए (एअ) 1/2 स पयासिंता ( पयास ) वकृ 1/2 आर्षप्रयोग 125. एक्कारस ( एक्कारस ) मूलशब्द 1/2 य (अ) = और सहस्सा ( सहस्स) 1/2 छ ( छ) 1/2 प्पि (अ) = पादपूरक य (अ) = पादपूर्ति सोला ( सोला ) 1/2 वि महग्गहसया [ ( महग्गह)( सय ) 1/2 ] उ (अ) = पादपूर्ति छ (छ) 1/2 च्च (अ) = पादपूर्ति सया ( सय ) 1/2 छन्त्रउआ (छन्नउअ )1/2 नक्खत्ता ( नक्खत्त) 1/2 तिण्णि (ति ) 1/2 य ( अ ) = और सहस्सा (सहस्स ) 1/2 . 126. अठ्ठासीई* ( अट्टासीइ ) 2/1 वि चत्ताई* ( चत्त ) 1/2 सयसहस्साई ( सयसहस्स) 1/2 मुणयलोगम्मि [ मणुय ) - ( लोग ) 7/1 ] सत्त ( सत्त) 1/2 य (अ) = और सया (सय) 1/2 अणूणा ( अणूण ) 1/2 तारागणकोडिकोडोणं [ (तारा) - ( गण )- (कोडिकोडि ) 6/2] कभी-२ प्रथमा विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137, वृत्ति) चत्ता-चत्त →चत्ताई

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