Book Title: Devindatthao
Author(s): Subhash Kothari, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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________________ 125 व्याकरणिक विश्लेषण 192. कप्पे (कप्प) 7/1 सणंकुमारे ( सणंकुमार ) 7/1 माहिंदे ( माहिंद ) 7/1 चेव / ( च ) + ( एव ) ] च ( अ ) = और एक (अ) = ही बंभलोगे ( बंभलोग ) 7/1 य ( अ ) = और एएसु ( एअ) 7/2 स पम्हलेसा (पम्हलेस ) 1/1 तेण ( अ ) = इस कारण से परं* ( पर ) 2/1 वि सुक्कलेसा ( सुक्कलेस ) 1/1 उ . (अ)- पादपूर्ति * कभी-कभी सप्तमी विभक्ती के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है / (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137) 193. कणगत्तपरत्ताभा[ (व.णग ) + ( अत्तय ) + ( रत्त ) + (आभा)] [( कणग)- ( अत्तय)-( रत्त)- (आभा ) 1/1 ] सुरवसभा [ ( सर )-( वसभ ) 1/2 ] दोसू ( दो) 7/2 होंति ( हो ) व 3/2 अक कप्पेस ( कप्प) 7/2 तिसु (ति) 7/2 होति (हो) व 3/2 अक पम्हगोरा ( पम्हगोर ) 1/2 तेण ( अ ) = इसलिए परं (पर) 1/1 सुक्किला ( सुविकल ) 1/2 देवा ( देव ) 1/2 194. भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिया [ ( भवणवइ)- ( वाणमंतर) (जोइसिय ) 1/2 ] होति ( हो) व 3/2 अक सत्तरयणीया [ ( सत्त)- ( रयणी ) 'य' स्वार्थिक 1/2 ] कप्पवईण (कप्पवई) .. 6/2 य ( अ ) = और सुंदरि ! ( सुन्दरी ) 8/1 सुण ( सुण ) विधि 2/1 सक उच्चत्तं ( उच्चत्त ) 2/1 सुरवराणं (सुरवर) 6/2 195. सोहम्मे ( सोहम्म ) 1/1 ईसाणे ( ईसाण ) 1/1 य ( अ ) = और सुरवरा ( सुरवर ) 1/2 होति (हो) व 3/2 अक सत्तरयणीया [ ( सत्त ) - ( रयणी ) 'य' स्वार्थिक 1/2 ] दो (दो) 1/2 दो (दो) 1/2 कप्पा ( कप्प ) 1/2 तुरुला ( तुल्ल ) 1/2 दोसु (दो) 7/2 वि ( अ ) = पादपूर्ति परिहायए (परिहायअ ) 1/1 रयणी ( रयणि ) 1/1 - 196. गेवेज्जेसु ( गेवेज्ज ) 7/2 य ( अ )- और देवा ( देव ) 1/2 रयणीओ ( रयणी ) 1/2 दोन्नि ( दो ) 1/2 होति ( हो ) व 3/2 अक उच्चा ( उच्चा ) मूलशब्द 1/2 उ ( अ ) = पादपूर्ति उच्चत्तं
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