________________ देवेन्द्रस्तव 39 . 153. मानुषोत्तर पर्वत के बाहर चन्द्र और सूर्य अवस्थित ( हैं ) / वहाँ चन्द्रमा अभिजित् नक्षत्र से (योग वाले) व सूर्य पुष्य नक्षत्रों से (योग वाले ) होते हैं। 154: (मनुष्य क्षेत्र से बाहर) सूर्य का चन्द्रमा से और चन्द्रमा का सूर्य से अन्तर पचास हजार योजन से कम नहीं होता है। .. __155. मानुषोत्तर पर्वत के बाहर चन्द्रमा का चन्द्रमा से और सूर्य का सूर्य से अन्तर एक लाख योजन का होता है। 156. चन्द्रमा से सूर्य अन्तरित है और प्रदीप्त सूर्य से चन्द्रमा अन्तरित है ( और वे ) अनेक वर्ण वाली किरणों वाले ( होते हैं ) ( चन्द्र मन्द किरणोंवाला (और) सूर्य आभायुक्त किरणों वाला (होता है)। . 157. एक चन्द्र परिवार के अट्ठासी ग्रह एवं अट्ठाईस नक्षत्र होते हैं / इसके पश्चात् तारों का (वर्णन) करता हूँ। 158. एक चन्द्र परिवार छियासठ हजार नौ सौ पचहत्तर क्रोडाक्रोडि तारागणों का (होता है)। .. [ज्योतिषिक देवों को स्थिति] - 159. सूर्यों की वह (आय) स्थिति एक हजार वर्ष पल्योपम कही गयी है और चन्द्रमा की (आयु-स्थिति) एक लाख वर्ष पल्योपम से अधिक .. (कही गयी हैं) ___ 160. ग्रहों की वह (आयु) स्थिति एक पल्योपम, नक्षत्रों की आधा फ्ल्योपम और तारों की एक पल्योपम का चतुर्थांश ( जितनी ) कही गयी है। 161. ज्योतिष्क (देवों) की जघन्य स्थिति पल्योपम का आठवाँ भाग .. (और) उत्कृष्ट (स्थिति) एक लाख पल्योपम वर्ष से अधिक (कही गयी है)