________________ देवेन्द्रस्तव 118. इस पुष्करवर द्वीप ( के ऊपर के क्षेत्र ) में किरणों से युक एक सौ चौवालीस चन्द्र और एक सौ चौवालीस सूर्यों का विचरण होता है। 119. पुष्करवर द्वीप पर चार हजार बत्तीस नक्षत्र और बारह हजार छः सौ बहत्तर सूर्य आदि ज्योतिष्क (महाग्रह) (होते हैं)। 120. इसी तरह (पुष्करवर द्वीप पर) छियानबे लाख चौवालीस हजार चार सौ कोटाकोटि तारागण होते हैं। 121. इस अर्द्धपुष्करवर द्वीप के ऊपर बहत्तर चन्द्र और बहत्तर तेजस्वी सूर्य प्रकाश करते हुए विचरण करते हैं / 122. (अर्द्धपुष्करवर द्वीप के ऊपर) छः हजार तीन सौ छत्तीस ग्रह और दो हजार सोलह नक्षत्र होते हैं। 123. अर्द्धपुष्करवर द्वीप के ऊपर निश्चय ही अड़तालीस लाख बाईस हजार दो सौ कोटाकोटि तारागण होते हैं / . 124. एक सौ बत्तीस चन्द्रमा हैं और एक सौ बत्तीस ही सूर्य (ऐसे हैं), (जो) समस्त मनुष्य लोक को प्रकाशित करते हुए विचरण करते हैं। 125. (मनुष्य लोक में) ग्यारह हजार छ: सौ सोलह महाग्रह (हैं) और तीन हजार छः सौ छियानबे नक्षत्र (हैं)। 126. मनुष्यलोक में अट्ठासी लाख चालीस हजार सात सौ कोटाकोटि तारागणों के (समूह) (है)।