Book Title: Bhav Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur
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कुअवधि ज्ञान क्षायोपशमिक पाँच
गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति
अभाव (24) (चक्षु, अचक्षु, औपशमिक सासादनकुमति, दर्शन, कुमति, कुश्रुत, सम्यक्त्व, शायिक कु श्रुत, कुअवधि ज्ञान,
सम्यक्त्व, मति, श्रुत
अवधि ज्ञान, क्षयोपशम लब्धि, नरकगति,
सम्यक्त्व, अवधि दर्शन, कृष्ण, नील, कापोत लेश्या, नपुंसक लिंग
| मिथ्यात्व, अभव्यत्व) अज्ञान, असिद्धत्व असंयम, चार कषाय,
जीवत्व, भव्यत्व) 3. मिन 0
(25) (चक्षु अचातु 18) {औपशमिक अवधि दर्शन, सम्यक्त्व, क्षायिक क्षायोपशमिक पांच
सम्यक्त्व, मति, श्रुत लब्धि , नरक गति,
अवधि ज्ञान, पायोपशमिक कृष्ण, नील, कापोत
सम्यक्त्त्व, मिथ्यात्व, लेश्या, नपुंसक लिंग,
पात्र कुमार । . अज्ञान, ऑसद्धत्व असंयम, चार कषाय,
|मिश्रज्ञान जीवत्व, मन्यत्व, मतिकुमति,श्रुत-कुश्रुत, अवधि-कुअवधि) तीन
मिश्र ज्ञान 4.अविरत (5} {28} {औपशमिक 15) {कुमति, कुश्रुत | इनरकगति, सम्यक्त्व, क्षायिक
कुअवधि शान, मिथ्यात्व, कृष्ण, नील, सम्यक्त्व,
अमञ्चन क्षायोपशमिक कापोत लेश्या
सम्यक्त्य, मति, श्रुत असंयम } अवधि ज्ञान, चक्ष,
अचक्षु, अवधि वर्शन, क्षायोपशमिक पॉच लब्धि, नरकगति, कृष्ण, नील, कपोत लेश्या, नपुंसक लिंग, अज्ञान, असिखत्व असंयम, चार कषाय, जीवत्व, भव्यत्व
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