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संदृष्टि नं. 85
संज्ञी जीव भाव (46) संजी जीव के 46 भाव होते है । जो इस प्रकार है 53 मावो में से केवल ज्ञान, केवल दर्शन, क्षायिक लब्धि 5 इन 7 शायिक भावो से कम शेष 46 भाव होते है गुणस्थान आदि के 12 होते है इसमें भाव व्यु. और भावों का कथन गुणस्थान के समान जानना चाहिए । अभाव भाव को ज्ञात करने के लिए प्रत्येक गुणस्थान में कथित अमाव भावों में से 1 उपर्युक्त क्षायिक भाव कम कर देना चाहिए । यथा प्रथम गुणस्थान में अमाव भाव 19 होते हैं। उनमें 7 कम करने पर 12 अभाव भाव । गुण में जानना चाहिए। इसी प्रकार सभी गुणस्थानों संयोजना करे। संदृष्टि इस प्रकार
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गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव
अभाच मिध्यात्व | 2(गुणस्थानवत् | 34 (गुणस्थानवत् दे. |12 (गुणस्थानोक्त 19दे. संवृष्टि 1) संदृष्टि ।)
7 शायिक भाव) सासादन |3 ( " 32 ( " ) |14 " 21 - 7 क्षायिक
भाव) मिश्र ( " 2 ( " ) |13 ( 20 अविरत 6 { " 236 " ! (3z. .") देशसंयत ।"
" ) 115 (22 प्रमत्त 01 " ) ( "
15("22 सयत अप्रमत्त ( " { "
15 ( 22 संयत अपू. क. |01 " 28 1
) 1825 अनि. क.3( " ( "
( 25 सवेद माग अनि. क.13{ " ( " T21 (28 . अवेद
भाग
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सूक्ष्म. 2 ( " उपशात 2 "
) 22 (
211
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क्षी. मो, ||3 (
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