Book Title: Bhav Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 124
________________ अभाव भावार्थ- संयम मार्गणा के सात भेद हैं सामायिक, छेदोपस्थापना, परिहार विशुद्धि, सूक्ष्मसापराय, यथाख्यात, संयमासंयम, असंयम असंयम मार्गणा में 1 गुणस्थान से 4 गुणस्थान तक ग्रहण किये गये हैं । अतः सभी यहाँ औदयिक भाव संभव है। संदृष्टि नं.65 असंयम भाव (41) असंयम मार्गणा में 41 होते हैं जो इस प्रकार हैं - रशम सम्यक्त्व, शायिक, सम्यक्त्व, कुज्ञान 3, शान 3, दर्शन 3, बायोपशमिक लब्धि 5, वेदकसम्यक्त्व, गति, 4, कषाय 4, लिंग, लेश्या 6, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व पारिणामिक भाव 3 | गुणस्थान आदि के चार होते हैं। संदृष्टि इस प्रकार है.. गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति माव मिथ्यात्व | 2 (मिथ्यात्व 34 (गुणस्थानवत् . [1 (उपशम क्षायिक अभव्यत्व) संदृष्टि 1) सम्यक्त्व, ज्ञान 3, अवधि वर्शन, क्षयोपशमिक सम्यक्त्व) सासादन 3(कुज्ञान 3) 32 1 " ) | उपर्युक्त 7 में मिथ्यात्व एवं अभव्यत्व जोड़ने पर भाव) | (उपर्युक्त में अवधि दर्शन कम करने पर भाव) अविरत (नरक, देव 36 ( " 5(मिथ्यात्व, अमव्यत्व गति, अशुभ कुज्ञान 3) लेश्या 3, असंयम) मिश्र देसजमे सुहलेस्सतिवेदतिणरतिरियगदिकसाया हु । अण्णाणमसिद्धत्तं णाणतिर्दसणतिदेसदाणादी 1991 देशयमे शुभलेश्यात्रिवेदत्रिनरतिर्यगतिकषाया हि । अज्ञानमसिद्धत्व ज्ञानत्रिकदर्शनत्रिक देशदानादयः ।। (117)

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