Book Title: Bhav Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur
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16
गुणस्थान भाव व्युच्छिति
भाव
अभाव अविरत
36 (गुणस्थानवत् दे. 5(उपशम चारित्र, | (गुणस्थानवत् संदृष्टि 1)
शायिक चारित्र, मनः दि. समुष्टि "i
रिहान, गराग संयम,
संयमासंयम) देश 12( "
" ) 10 (उपशम चारित्र, संयम
क्षायिक चारित्र, मनः पर्ययज्ञान, सराग संयम, अशुभ लेश्या 3, असंयम, नरकमति,
देवगति)
प्रमत्त चिरत
०
"
|
"
19 (उपशम चारित्र, सायिक चारिख, संयमासंयम, अशुभ लेश्या 3, असंयम, नरक गति, तिर्यच गति, देवगति 10 (उपर्युक्त) -
"
311
"
अप्रमत्त |{ विरत अपूर्वकरण ०(
"
|281
"
13 (उपर्युक्त 10 + पीत, पद्म लेश्या, वेदक
सम्यक्त्व) |13 (उपर्युक्त) 16 (उपर्युक्त 13 + लिंग
अनि. स. | 3 (
" 28 ( " )|251
अनि. अ. |38
"
सूक्ष्म सा.
2
"
22
"
| 19 (उपर्युक्त 16 + क्रोध, | मान, माया)
उपशांत |2( " ) 211
"
)
| 20 (क्षायिक चारित्र,
संयमासंयम, सरागसंयम, | कृष्णादि लेश्या, असंयम, कषाय, नरकादि गति, लिंग )
(124)

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