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(अवरकावोदा) जघन्य कापोत लेश्या होती है।
भावार्थ - भोग भूमि के तिर्यंचों के पर्याप्त अवस्था में 33 भाव होते हैं। निवृत्य पर्याप्त अवस्था में तीन शुभ लेश्याओं का अभाव होता है क्योकि इनके निवृत्य पर्याप्त अवस्था में तीन अशुभलेश्याएं ही पायी जाती हैं अतः 33 भावों में से तीन शुभ लेश्याएँ कम करके तीन अशुभलेश्याएं मिला देना चाहिए। तीनों अशुभ लेश्याएँ प्रथम एवं द्वितीय गुणस्थान में ही संभव है चौथे गुणस्थान में केवल कापोत लेश्या का जघन्य अंश पाया जाता है। इनके निर्वृत्य पर्याप्त अवस्था में विभंगावधि ज्ञान एवं उपशम सम्यक्त्व का भी अभाव पाया जाता है।
संदृष्टि नं. 15 भोगभूमिज तिर्यञ्च अपर्याप्त भाव (31) अपर्याप्त भोग मिन तिर्यंच के 31 भाव होते है जो इस प्रकार है - पर्याप्त भोगभूमिज तिथंच के 33 भावों में उपशम सम्यक्त्व एवं कुअवधि ज्ञान कम करने पर 11 भाव शेष रहते हैं 1 गुणस्थान मिथ्यात्व, सासादन और असंयत ये तीन होते हैं संदृष्टि इस प्रकार है - मुणस्थान भाव व्युच्छिति मिथ्यात्व ) (मिथ्यात्व, (25} {कुज्ञान 2, 6शायिक सम्यक्त्व, अभव्यत्व)
दर्शन 2, झायोपशमिक शायोपशमिक सम्यक्त्व, लब्धि 5, तिथंच गति, जान 3, अवधिदर्शन, कपाय 4, पुल्लिंग, अशुभ लेश्या 3, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, पारिणामिक भाव 3}
भाव
अभाव
सासादन (4)(कुमति , {2} {उपर्युक्त 25 - |ts) {उपर्युक्त 6 +
कुश्रुत ज्ञान, मिथ्यात्व, अभव्यत्व मिथ्यात्व, अभव्यत्व) कृष्ण, नील लेश्या )
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