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संदृष्टि नं. 26 भोगभूमिज स्त्री पर्याप्तक भाव (32) भोगभूमिज स्त्री के पर्याप्तक अवस्था में 32 भाव होते है जो इस प्रकार है- मोग भूमिज पर्याप्त मनुष्य के 33 भावो में सेक्षायिक सम्यक्त्व कम करने पर 32 प्राव यहां जानना चाहिए । गुणस्थान आदि के चार ही होते है। गुणस्थान भाव व्युच्छिति भाव
अभाव मिथ्यात्व | 2 (मिथ्यात्व |(26) (कुज्ञान , दर्शन | 6 (उपशम, क्षयो, अभव्यत्व) 12, क्षायोपशमिक सम्यक्त्व, ज्ञान, अवधि
लब्धि 5, असंयम, दर्शन) मनुष्य गति, कषाय, स्लीबेड, सानेगा , अज्ञान, असिद्धत्व, मिथ्यात्व, पारिणामिक
भाव 3) सासादन |3 (कुज्ञान3) | 24 (उपर्युक्त 26.2 8(उपर्युक्त 6+ गिथ्यात्व,
| मिथ्यात्व, अभव्यत्व) | अभब्यत्व) मित्र 10
25 (मिश्र ज्ञान 3, 17 (उपशम, वायो. दर्शन 3,
सम्यक्त्व, ज्ञान, क्षायोपशगिक लब्धि
मिथ्यात्व, अभव्यत्व) 5, असंयम, मनुष्यगति, कषाय 4, स्त्रीवेद, शुभ लेश्या, अज्ञान, असिद्धत्व, जीवत्व, भव्यत्व)
अविरत
: (असंयम)
5 (कुज्ञान 3, मिथ्यात्व, अभव्यत्व)
27 (औपशमिक सम्यक्त्व, हायोपशभिक सम्यक्च, ज्ञान 3, दर्शन 3, क्षायोपशमिक लन्धि 5, असंयम, मनुष्यगति, कषाय, स्त्रीवेद, शुभ लेश्या 3,अज्ञान, असिद्धत्व पारिणामिक भाव 2)
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