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संदृष्टि नं. 17 भोगभूमिज तिर्यचिनी पर्याप्त (32 भाव) भोगममिज तिर्यञ्चनी पर्याप्त के मोगभूमिज तिर्यठचनी पर्याप्त 32 भाव होते है जो इस प्रकार हैं - औपशमिक सम्यक्त्व, शायोपशमिक सम्यक्त्व, कुमति, कुश्रुत,कुअवधि, मति, श्रुत, अवधि ज्ञान, चक्षु, अचा, अवधि दर्शन, भयोपशमिक पाँच लब्धि, तिर्यञ्चगति, क्रोध, मान, माया, लोभ कवाय, स्त्रीलिंग, पीत, पद्म, शुक्ल लेश्या, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, जीवत्व मध्यत्व, अभव्यत्व । गुणस्थान आदि के चार पाये जाते हैं। संदृष्टि इस प्रकार है - गुणस्थान भाव व्युच्छिति भाव । अमाव .
मिथ्यात्व 2} {मिथ्यात्व, (26} {कुमति, 6){औपशमिक अमव्यत्व
कुश्रुत, कुअवधि ज्ञान, सम्यक्त्व, कायोपशमिक चक्षु अचक्षु दर्शन, सम्यक्त्व, मति, श्रुत, क्षायोपशमिक पांच
अवधिशान, अवधिदर्शन लब्धि, तिथंच गति, कोष, मान, माया, लोभ कपाय, स्त्रीलिंग, पीत, पद्म,शुक्ल लेश्या, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान असिद्धत्व, जीवत्व,
भव्यत्व, अभव्यत्व सासादन (कुमति {4} {उपर्युक्त भावों |(8) {उपर्युक्त 6 भावों में
से मात्र मिथ्यात्व और मिथ्यात्व एवं अमन्यत्व कुअवधि ज्ञान)
का अभव्यत्व अलग करने |जोड़ने से भाव हो जाते
पर 24 भाव शेष रहते
कुश्रुत,
मित्र
10
(25) उपर्युक्त 24 +
अवधि दर्शन + मिनशान}
(7) {उपर्युक्त । - अवधिवर्शन, ३ मिश्र ज्ञान+ 3 कुज्ञान
(56)