Book Title: Bhairava Padmavati Kalpa
Author(s): Mallishenacharya, Shantikumar Gangwal
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
। ३६ । ब्रह्मादि लोक नाथं हूँ कारें व्योमषान्तमदनोपेतम् । पद्य च पद्म कटिनि नमोऽन्तगो मूलमन्त्रोऽयम् ॥२६॥
[संस्कृत टीका]-ब्रह्मादि ॐ कारादि लोक नाथं ह्रीं कारं ह्र कारं ह्र इति बीजं, व्योम हकारं कथं भूतं, षांत मदनोपेतं, षांतः स्यांतः सकारः मदनः ल्को कारः प्राभ्यायुतं, षांत मदनोपेतं, एवं हल्की मिति, पनापद्मतिपवं, च समुच्चये, पन कटिनो, पद्म कटिनीति पदं नमोंतगतः, अंते नमः इति पदं, मूल मंत्रोयं, अयं पद्मावती देव्यामलमंत्री ज्ञातव्यः ।
मंत्रोद्धार :-- ॐ ह्रीं ह्र हल्को पद्मोपद्म कटिनि नमः ॥२६।।
[हिन्दी टीका]-पहले ब्रह्म माने ॐ कार, लोक नाथ माने मायाबीज ह्रीं कार, है आकाशबीज माने ह्र. कार, प का अंत सकार कामबीज माने की कार मिलकर हल्की, पद्म पद्मकटिनि और नमः शब्द है अंत में जिसके ऐसा यह मूल मंत्र है।
मूलमंत्र :- ॐ ह्रीं ह्र हल्की पद्म पद्म कटिनि नमः ।।२।। सिध्यति पद्यादेवी त्रिलक्ष जाप्येन पद्मपुष्पाणाम् । अथवारुण करवीरक संवृत पुष्प प्र जाप्येन् ॥३०॥
[संस्कृत टीका]-सिध्यति सिध्दा भवति, का पनादेवी पद्मावती देवी, केन त्रिलक्ष त्रितय जाप्येन, एषां पद्मपुष्पाणां, शहस्त्र पत्राणां, अथवा रक्त करणवीर तान्वित प्रसून जाप्येन् सिद्धा भवति ॥३०॥
[हिन्दी टीका]-इस मंत्र का कमल के फूलों से तीन लाख जाप्य करने से मंत्र सिद्ध होता है, कमल फूलों के अभाव में लाल कनेर के डाली सहित फूलों से तीन लाख जाय करने से पद्मावतो देवी सिद्ध होती है ॥३०॥
ब्रह्म माया च हंकारं व्योम क्ली कार मूर्धगम् । श्री च पा! नमो मन्त्रं प्राविधा षडक्षरोम् ॥३१॥
[ संस्कृत टोका ]-'ब्रह्म' कारः, 'माया' ही कारः, चंः' समुच्चये 'ह' कारं' ह मिति बीजम 'व्योम' ह कारः, कथम्भूतं व्योम ? 'क्ली कार मूर्धगम् क्ली कारोपरिस्थितम् एवं हस्क्ली मिति, 'श्री च' श्रीमिति बीज च, 'पने पद्म! इति पदम्, 'नमः' नमः इतिपदम्, 'मन्त्र' इमं कथितं मन्त्रम् 'विद्या षडक्षरोम् षडक्षरीमिति विद्या 'प्राहुः' प्रकर्षेण पाहुः ।