Book Title: Bhairava Padmavati Kalpa
Author(s): Mallishenacharya, Shantikumar Gangwal
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 211
________________ ( १९७ ) टीकाकर्ता की प्रशस्ति स्वस्ति श्री वीरनिर्वाण २५१२ मासानां मासे आश्विनीमासे शल्कपक्ष विजयादशम्यां रविवासरे, श्रवण नक्षत्रे अभिजितशुभमुहुर्ते वृश्चिक नामा स्थिर लग्ने कर्नाटक राज्ये शेइवाल नगरस्य रत्नत्रयपुर्या श्री ऋषभादि चतुविश तीर्थकर जिनबिंब समीपे टीकाकर्ता श्री मूलसंघे सरस्वती गच्छे बलात्कार गणे कुन्द कुन्दाचार्य परंपरायां श्री प्राचार्य आदिसागर अंकली, तत्शिष्य समाधि सम्राट, प्राध्यात्म योगी तीर्थ क्षेत्र भक्ति वंदना शिरोमरिग, चतुर्नु योगज्ञाता, महामंत्र बादी आचार्य महावीर कीति तत् शिष्य, सर्वागमज्ञ, यंत्र मंत्र तंत्र शास्त्र विशेषज्ञ गरणधराचार्य कुन्थुसागरेण भैरव पद्मावती कल्पस्य राष्ट्र भाषायां मया सर्व जनहितार्थ विजया टीका कृता । इति । मंग :-"क्षिप स्वाहा ।' क्षि प, स्वा, हा, इन चार मंत्राक्षरों से घड़े में भरे हुए पानी को मंत्रित करके सर्प दंशीत मनुष्य के सिर से पैर तक लगाने से जहर (विष) मुक्त हो जाता है।

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