Book Title: Bhairava Padmavati Kalpa
Author(s): Mallishenacharya, Shantikumar Gangwal
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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( ६८ )
हरतालादि पीले द्रव्यों से लिखे और इन द्रव्यों से पृथ्वी मंडल बनाकर रख े, तो स्तंभन होता है ॥२१॥
यह क्रोधादि स्तंभन लं रंजिका यंत्र चित्र नं. १५ देख स्तम्भने तु मैन्द्र ं निज बीजमेन्द्र ( द ) श्री कुङ्क ुमाद्योलिखितं सु भूज्जे । त्रिलोवेष्टयं विधृतं स्वबाहों, करोति रक्षां ग्रह भारी रुग्भ्यः ||२२|| | हिन्दी टीका ] - पूर्वोक्त यंत्र के अनुसार लं कार की जगह पर श्री कारको लिख कर स्थापन करे । इस यंत्र को भोजपत्र पर सुगन्धित द्रव्यों से लिखकर त्रिलोह के मादलीया में डालकर अपनी दाहिनी भुजा में धारण करे तो यह यत्रं ग्रह मारी आदि रोगों से रक्षा करता हैं ।
महादि शांति कर्म का श्री रंजिका यंत्र चित्र नं. १६
इत्युभय भाषाकविशेखर श्री मल्लिषेण सूरि विरचिते भैरव पद्मावती कल्पे द्वादशरञ्जिकायन्त्रोद्धाराधिकारश्चतुर्थः परिच्छेदः ॥ ४ ॥
इस प्रकार उभय भाषा कवि श्री मल्लिषेरगाछार्यविरचित भैरव पद्मावती कल्प का बारह रंजिका यंत्रोद्धार की हिन्दी विजया टीका
समाप्ता ।
( चौथा अध्याय समाप्त )
* इस चिन्ह से युक्त श्रीं कार रंजिका मंत्र व श्लोक, विधि हस्तलिखित संस्कृत टीका वाले ग्रंथ में नहीं है, हमने सूरत से कापड़िया जी द्वारा प्रकाशित प्रति से लिखा है ।