Book Title: Bhairava Padmavati Kalpa
Author(s): Mallishenacharya, Shantikumar Gangwal
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 196
________________ ( १-२ ) [ संस्कृत टीका ] - 'फरिणदष्टस्य शरीरात्' सर्पदष्टस्य पुरुषस्य शरीरात् । 'जं स्वाहा मन्त्रतः' उ स्वाहेति वक्ष्यमाणमन्त्रात् । विषम्' वष्ट पुरुषवेहस्थं विषम् । 'हृत्या' अपहृत्य । कथम् ? 'सोमं श्रवत्' प्रमृतं श्रवमारणम् । कस्मात् ? ' ललाटात् ' भालस्थलात् । 'दूतं' प्रेषकम् । 'मन्त्रेण पातयेत्' पातयितव्यः || २६ ॥ एतन्मन्त्रोद्धार :- ॐ स्वाहा इत्यनेन मन्त्रेणविवमा ह्रियते । नमो भगवते वज्रतुण्डाय स्वाहा रक्ताक्षि कुनखि दूतं पातय पातय मर मर घर घर ठठठीँ फट् घे घे ॥ इति दूतपालन मन्त्रः ।। [ हिन्दी टीका ] - ॐ स्वाहा मंत्र से सर्प दंशित पुरुष के शरीर में रहने वाले विष को दूत पातन मंत्र से दूत को कपाल से भरते हुए मृत से हरण करे ।।२६।। दूत पातन मंत्रोद्धार :- ॐ नमो भगवते वज्र तुण्डाय स्वाहा रक्ताक्षि कुनख दूतं पातय- पातय मर-मर धर-धर ठ ठ ठ हुं फट् घे घे । ॐ लामों फडू मन्त्रोच्चारणतः पतति भोमिना दष्टः । ॐ होमादिकन्तो दष्ट पटच्छावतो मन्त्रः 11 [ संस्कृत टीका ] - 'उ' लामों फडू मन्त्रोच्चारणतः ' । इत्यनेन मन्त्रोच्चारणेन भूमौ पतति । कः ? 'भोगिना दष्ट: ' सर्पेण दष्टपुरुषः । 'उ' होमादिफडन्त : ' उ स्वाहा शब्दमावि कृत्या फट्शब्दान्तः वक्ष्यमाणमन्त्रः । 'दष्ट पटच्छादनो मन्त्रः ' पतित दष्ट पुरुषस्य शरीरोपरिवस्त्रच्छादनमन्त्रः ||२७|| मन्त्रोद्धार :- ॐ ताँ उ फड् इति वष्टपातन मन्त्रः । ॐ स्वाहा रुरुरुरुहो प्लं सर्वं हारय संहारय उ यूं उ उ गरुडाक्षि जं फट् ॥ इति बष्टपट च्छा वनमन्त्रः ।। [ हिन्दी टीका ] - ॐ (ई) लां ॐ फट् (ड्) इस मंत्र के उच्चाररण से सर्पदष्ट पुरुष भूमि पर गिरता है ||२७|| दष्ट पातन मंत्र :- ॐ ईं लाँ ॐ फड् ( फट् ) दष्ट के उपर वस्त्र ग्राच्छादन मंत्र :- ॐ स्वाहा रुरुरुरुरुरु हो प्ले हं सर्वं संहारय-२ ॐ यूं ॐ ॐ गरुडाक्षि ॐ फट् स्वाहा । इस मंत्र से दष्ट पुरुष को वस्त्र ढाना चाहिए । मंत्र :- ॐ ई लॉं ॐ फट् ।" वस्त्राच्छादन मंत्र ( कपड़े से सांप कांटे

Loading...

Page Navigation
1 ... 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214