Book Title: Bhairava Padmavati Kalpa
Author(s): Mallishenacharya, Shantikumar Gangwal
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 171
________________ ( १५.७ उभय ग्रहणे दीपोत्सवे व नवकरऽज्जनं घार्यम् । गोमयविलिप्त सूम्यां स्थित्वा मन्त्राभिषिक्तायाम् ॥ १८ ॥ [ संस्कृत टीका ] - ' उभयग्रहणे' सोमसूर्यग्रहणे । 'दीपोत्सवे च' अथवा दोपालोपरि । 'नबकरेऽज्जनं कार्यम्' नवीनमृद्भाण्डरुपाले 'अञ्जनं धार्यम्' कज्जलं ग्राह्यम् । 'गोमयविलिप्त भूम्या' भूम्यपतितगोमयेन सम्माजितपृथिव्याम् । स्थित्वा' उषित्वा । कथम्भूतायाम् ! 'मंत्राभिषिक्तायां' वक्ष्यमाणमन्त्रेणाऽभिषिक्त मूम्याम् ।। १८ ।। मन्त्रोद्धार :- ॐ भूर्भुमि देवते ! तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ॥ भूमिसंमार्जन मन्त्रः ॥ १ ॐ नमो भगवते चन्द्रप्रभाय चन्देन्द्र महिताय नयनमनोहराय हरिसि हरिणि सर्व वश्यं कुरु कुरु स्वाहा || कज्जलोद्वारणमन्त्रः ।। ॐ नमो नारे समाहिताय कामाय रामाय उँ चुलुलुगुलुगुलु नीलभ्रमरि नीलभ्रमरि मनोहरि नमः ॥ नयानाञ्जनमन्त्रः || [ हिन्दी टीका ] - सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण वा दीपमालिका को नवीन माटी के बर्तन में काजल को ग्रहण करना, गोबर से लिपी हुई और नीचे लिखे हुए मंत्र से अभिषिक्त की हुई पृथ्वी पर बैठ कर काजल को ग्रहण करना ॥ १८ ॥ मंत्रोद्धार :- ॐ भूर्भुमि देवते तिष्ठ- २ ठः ठः ।। इस मंत्र से भूमि का सम्मार्जन करे । ॐ नमो भगवते चन्द्रप्रभाय चंद्रेन्द्र महिताय नयन मनोहराय हरिरिण-२ सर्वजन वश्यं कुरु - २ स्वाहा । इस मंत्र से कज्जल का उद्धार करे । ॐ नमो भूताय ( भूत भावनाय ) समाहिताय कामाय रामाय ॐ चुलु-२ गुलु-२ नीलं भ्रमरि, मनोहरि (नयन मोहिनी ) नमः -- इस मंत्र से आंख में अंजन ( काजल ) लगाये ॥ कज्जल रञ्जितनयने दृष्ट्वा तां वाञ्छतोहरे मदनोऽपि । नरमध्य जित' नयनं सूपाश्चास्तस्य यान्तिवशम् ||१६| [ संस्कृत टीका ] - 'कज्जलर जितनयने' कज्जलेनाजिते नेत्रे । 'रष्मा' १. उऐद्रदेव ! 'कज्जलं गृह गृह स्वाहा' कराभिमन्त्रण । इति पाठ: । २. भूतेशाय इति ख पाठः । ३. वशयतीति ममनेपि इति पाठ: । ४. नरमप्यजित नेत्रं भूपाद्यायान्ति तस्य वशम् ग पाठ |

Loading...

Page Navigation
1 ... 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214