Book Title: Bhairava Padmavati Kalpa
Author(s): Mallishenacharya, Shantikumar Gangwal
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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{ १५० ।
[संस्कृत टीका]-'दिशि विदिशि' दिशासु विदिशासु । 'तदुभयान्तर वतिभ्यां तदुभयपार्श्ववतिभ्यां तद्दिग्विदिग्भ्या उभयपास्थितानाम् । 'दिशतु' कथयतु । 'पृच्छके' प्रश्नकारि पुरुषे । कः ? 'मन्त्री मन्त्रवादी । कथम् ? 'क्रमशः' यथाक्रमम् । 'बालं बालां नपुंसकम्' दिशि पृच्छके बालं, विदिशि पृच्छके कुमारी विशतु, तद्दिग्धिदिग्भ्यां मध्येवतिनि प्रच्छके नपुसकं दिशतु । कस्याः ? 'पूर्णगभिण्याः सम्पूर्णभिण्याः ॥३२॥
हिन्दी टीका ]-प्रश्नकार मनुष्य जिस दिशा या विदशा में रहकर महिने समाप्त हो चुके हैं ऐसी गर्भािग स्त्री के लिये प्रश्न करे तो मंत्रवादी अनुक्रम से इस प्रकार उत्तर दे, प्रश्नकर्त्ता दिशाओं की ओर रहकर प्रश्न करें तो पुत्र होगा, विदिशाओं में रहकर प्रश्न करे तो पुत्री होगी और दिशा विदिशा के मध्यम में रह कर प्रश्न करे तो नपुसक उत्पन्न होगा ।।३२।।
स्त्री अथवा पुरुष को पहले किसको मृत्यु होगी? वर्णमात्राश्च दम्पत्योरेकीकृत्य त्रिभाजिताः। शून्ये नेकेन मृत्पुसो नार्या हयङ्कन निविशेत् ॥३३॥
[संस्कृत टोका]-'वर्णमात्राश्च वर्णाः ककारादिहकारपर्यन्ताः, मात्राश्च प्रकरादि षोडशस्थराः । कयोः ? 'दम्पत्योः' स्त्रीसोः। 'एकीकृत्य' तयानमिवर्णमात्राश्च पृथक्पृथक विश्लेष्य ताः सर्या एक स्थाने कृत्वा । 'त्रिभाजिताः' तो राशि व्यङ्कन विभाजिताः। 'शून्येनकेन, तद्भागोरितशून्येन एकेन च । 'मृत्पुसः' पुरुषस्य मृत्युः । 'नार्या वयङ्कन' तदुद्धरित द्वयङ्कन नार्या मृत्युम् । 'निदिशेत्' कथयेत् ॥३३॥
[हिन्दी टीका ]-स्त्री और पुरुष के नामों के व्यंजन और स्वरों को अलग-अलग लिखकर उनकी गिनती करे, फिर तीन का भाग दे। यदि शून्य शेष रहे, तो अथवा एक रहे तो पुरुष की पहले मृत्यु होगी, यदि दो शेष रहे, तो स्त्री की मृत्यु होगी ।।३३।।
__ इत्युभयभाषा कवि शेखर श्री मल्लिषेण सूरि विरचिते भैरव पसायती कल्पे निमित्ताधिकारः अष्टमः परिच्छेदः ॥८॥
श्री उभय भाषा कवि विरचित भैरव पद्मावती कल्प का निमिताधिकार की हिन्दी भाषा नामक विजया टीका का समाप्त ।
(अष्टम अध्याय समाप्तः)