Book Title: Bhagawan Mahavir Smaranika 2009 Author(s): Mahavir Sanglikar Publisher: Jain Friends Pune View full book textPage 8
________________ SAURASHTRA POS STACER हकीम लुकमान की तिसरी हिदायत सकती हैं, क्योंकि नम्र छात्र अपने क्रोधी- ज्ञानाभ्यास कर सकता है। कम खाना अर्थात् थी- नम जाओ। नमना अर्थात् नम्रता रखना से-क्रोधी गुरू को भी प्रसन्न कर लेता है, ऊनोदरी करना जिस प्रकार आध्यात्मिक दृष्टि भी जीवन को सुखी बनाने का सर्वोत्तम जबकि अविनयी शिष्य शांतस्वभावी गुरू से तप है, उसी प्रकार ज्ञानार्जन में सहायक नुस्खा है। जो व्यक्ति नम्र होता है, वह अपनी को भी क्रोधी बना देता है। स्पष्ट है कि ज्ञान भी है। हमें दोनों ही दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण किसी भी कामना को पूरी करने में असफल हासिल करने वाले शिष्य को अत्यंत नम्र मानकर उसे अपनाना चाहिये। नहीं होता। नम्रता में अद्वितीय शक्ति होती स्वभाव का होना चाहिये। बंधुओ! मैं आपको बता यह रहा था वस्तुतः अभिमान मनुष्य को नीचे कि प्रत्येक आत्म-हितैषी व्यक्ति को गिराता हैं किन्तु नम्रता उसे ऊँचाई की और सम्यक्ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करना ले जाती है। महात्मा आगस्टाइन से एक बार चाहिये और इसके लिये उसे ज्ञानप्राप्ती के किसी ने यह पूछ लिया- 'धर्म का सर्वप्रथम समस्त उपायों को भली-भांति समझकर उन्हें लक्षण क्या है? उन्होंने उत्तर दिया- कार्यरूप में परिणत करना चाहिये। जैसा की THREE PIES धर्म का पहला, दुसरा, तीसरा और मैंने अभी बताया हैं, ऊनोदरी भी ज्ञान-प्राप्ति किंबहुना सभी लक्षण केवल विनय में निहित का एक उपाय है। स्वातंत्र्यपूर्व काळात सौराष्ट्र राज्याने भूख से कम खाने से प्रथम तो खाद्य गिरनार या जैन सिद्धक्षेत्रावर काढलेले अधिक क्या कहा जाये, नम्रता समस्त पदाथों पर से आसक्ति कम होती हैं, दुसरे पोष्टाचे तिकीट. सद्गुणों की शिरोमणी है। नम्रता से ही सब निद्रा एवं प्रमाद में भी कमी हो जाती है और जैन धर्मावरील हे सर्वात जुने तिकीट प्रकार का ज्ञान और सर्व कलायें सीखी जा तभी व्यक्ति स्वस्थ मन एवं स्वस्थ शरीर से आहे. PIRITERART हैं।' With Best Compliments From Rajendra Desarda 9822092140 We Lovesa cerving You Choice Tours & Travels A Complete Travelling Solution Chaphekar Chowk, Opp. Kamat Hospital, Chinchwad, Pune - 411 033. Ph. : (020) 27457470/71,56118670 Tele-fax : (020) 27487472 ६। भगवान महावीर जयंती स्मरणिका २००९Page Navigation
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