Book Title: Bhagawan Mahavir Smaranika 2009
Author(s): Mahavir Sanglikar
Publisher: Jain Friends Pune

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Page 56
________________ से मेरा मैत्री भाव है। यह भावना अगर मन में संदेश था। आज हमारे देश को महावीर के बहुत जरूरत है। हमें अहिंसावादी बनना स्थिर हो, तो जीवनतृष्णा को छोडना होगा। अहिंसा की बहुत आवश्यकता है। सब एक चाहिए। भ. महावीर की अहिंसा की व्याख्या वही सच्चा अहिंसक और अभय होगा। भ. दुसरे के दुश्मन होते जा रहे है। प्रेम रहा ही बहुत गहन है यह तो प्रयास है लिखने का। महावीर ने उस समय जनता को अहिंसा का नहीं। हिंसा का उत्तर हिंसा से दे रहे है। आज "सागर की गहराइ से भी गहरा है जिनका ध्यान संदेश दिया था कि, मनुष्य समाज में द्वेष विदेश में जैनधर्म लिए, महावीर के अनेकांत आकाश की उंचाई से भी उंचा है जिनका नाम मिटाकर उन्हे अपना करना, अपना कर्तव्य और अहिंसा के लिए लोगों में कितनी आसक्ती घोर उपसर्ग अपार कष्ट सहे समभावों से समझना चाहिए। अगर कोई मनुष्य अपने से है। वहां के लोग जैनधर्म का ही नही हमारे उन मृत्यूजयी कालजयी महावीर को वैरभाव रखता है तो भी उसके लिए मन में तीर्थंकरो का भी बहुत आदर करते है। और प्रणाम"। ओम अर्हम - अपने माता-पिता, वैरभाव नही रखना चाहिए या आने ही नहीं हम? भारत की संतान, महावीर के अनुयायी, भाई, बहन परिवार के अन्य सदस्यों को दुःख देना चाहिए। इस तरह अपनेपन की भावना श्रेष्ठ जैनधर्म, महावीर के शासन में जन्म लेकर पहुंचाना भी हिंसा है। समाज में हमारा बहुत निर्माण होगी। दुश्मनी दूर करना और मैत्री भी अच्छी बुद्धि प्राप्त नही कर सकते। आज नाम है और हम मदत भी करते मगर परिवार में निर्माण करना सबसे बड़ा धर्म है। दुसरो को महावीर और महात्मा गांधी की अहिंसा अमल हम झगडा करते है तो क्या यह हिंसा नही दुःख देने का स्वभाव छोड दो। साधा रहना, में लाना चाहिए। जिससे देश की, समाज की, होगी। छोटे छोटे कारणों से हम हिंसा के साधा खाना, तामस, राजस प्रकार के अन्न घर की हर समस्या छुट जायेगी। आज हम भागीदार बन जाते है। महावीर ने कहा सिर्फ नही खाना यह भी अहिंसा का महत्त्व का हिस्सा देखते है छोटी-छोटी बातों को लेकर हडताल पंचेंद्रिय जीवो की हत्या करना ही हिंसा नही है। अपने मन में विश्व के लिए प्रेम बढाकर करते है। भुख हडताल करते है क्यों? ये देश है। सुख पहुंचाना, सामनेवाले को दु:खी ना सबका कल्याण हो ऐसी भावना मन में रखो। समाज घर सबका है, फिर ये किसलिए? एक करना, बडे बुढों की सेवा करना भी अहिंसा दया और लोकसेवा, समाजसेवा करो। साथ में हिंसा को अहिंसा से उत्तर देना चाहिए। का एक भाग है। “जीओ और जीने दो” यही महावीर भगवान महावीर के अहिंसा की आज हमें With Best Compliments From M. G. BAFNA AKSHAY GROUP PROMOTERS & BUILDERS 2007, Sadashiv Peth, Dadhe Ruikar House, Tilak Road, Pune - 411030 Ph. : 020-24478086 ५४ । भगवान महावीर जयंती स्मरणिका २००९

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