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धारसायरवा
आसव मोक्ष का साक्षात कारण नहीं
आसव देहू जीवो जम्मसमुद्दे णिमज्जदे खिप्पं । आवसकिरिया तम्हा मोक्ख णिमित्तंण चिंतेम्जो॥५८||
अन्वयार्थ:
जीवो आसव हेदू खिप्पं जम्मसमुद्दे णिमन्जदे आसकिरिया तम्हा मोक्ख णिमित्तं चिंतेज्जो
- यह जीव - आस्रव के कारण - शीघ्र ही - जन्म (मरण) रूप समुद्र में - डूबता है - आस्रव रूप क्रिया • मोक्ष का (साक्षात) निमित्त कारण नहीं है। - ऐसा चिंतन करो॥५८||
भावार्थ- यह जीव आम्रव के कारण ही जन्म, मरण रूप संसार में डूबता है । अत: शुभ आस्रव रूप क्रिया मोक्ष का साक्षात निमित्त कारण नहीं है। ऐसा जानना चाहिए।
•रागो जस्स पसत्थो अणुकंपा संसिदो य परिणामो। चित्तम्हि णस्थि कलुस पुण्ण जीवस्स आसवदि ।।
|पंचास्किाय ४३|| अर्थ- जिस जीव के प्रशस्त राग है, अनुकम्पा सहित परिणाम हैं और चित्त
कलुषता रहित है उस जीव को पुण्य का आसव होता है।