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ાિરા પાર 15
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अनुप्रेक्षाएँ ही प्रतिक्रमण आदि है
उपसंहार
बारस अणुपेक्खाओ पच्चक्खाणं तहेव पडिकमणं । आलोयणं समाहिं तम्हा भावेज्ज अणुवेक्खं ॥८७||
अन्वयार्थ:
बारस अणुपेक्खाओ पच्चक्खाणं पडिकमणं आलोरणं तहेव समाहिं तम्हा अणुवेक्वं
- ये बारह अनुप्रेक्षायें ही - प्रत्याख्यान हैं, प्रतिक्रमण हैं। - आलोचना है - तथा वे इसी प्रकार से - समाधि हैं - इसलिये (इन) - अनुप्रक्षाओं का हमेशा चिंतन करना
चाहिए ।।८।।
भावार्थ- ये बारह अनुप्रेक्षाएं ही वास्तव में प्रत्याख्यान प्रतिक्रमण, आलोचना तथा समाधि है । अत: इनका हमेशा चिंतन करना चाहिए।
• णाणाजीवा णाणाकम्मं णाणाविहं हवे लदी। तम्हा वयणविवाद सगपरसमएहि वज्जिज्जो ।।
(नि. सा, १५६) अर्थ- अनेक प्रकार के जीव हैं. कर्म भी अनेक प्रकार के हैं और लब्धि
के भी नाना प्रकार हैं। इसलिए स्वप्समन और परसमय
के द्वारा वचनों का विवाद छोड़ देना चाहिए।