Book Title: Barsanupekkha
Author(s): Kundkundacharya, Vishalyasagar
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 86
________________ (વારસાનું વરવા श्रावक के ग्यारह धर्म (प्रतिमाएँ) दसण-वय-सामाइय-पोसह-सचित्त-राइभत्ते य। बम्हारंभ-परिग्गह-अणुमणमुद्दिष्ठ देवविरदेदे ।।६९॥ अन्ययार्थ: दसण वय सामाइय पोसह सचित्त राइभत्ते बम्हारंभ, परिगह अणुमणं य उद्दिट्ठ एदे दस विरद - दर्शन, व्रत, सामायिक • प्रोषध, सचित त्याग, रात्रि भुक्ति त्याग। - प्रयच माथाग, परिवहन - अनुमति त्याग और उद्दिष्टि त्याग - ये देशव्रत के ग्यारह स्थान हैं।६९|| अर्थ (१) दर्शन प्रतिमा (२) व्रत प्रतिमा (३) सामायिक प्रतिमा (४) प्रोषधोपवासे प्रतिमा (५) सचित्त त्याग प्रतिमा (६) रात्रि भोजन त्याग प्रतिमा (७) ब्रह्म चर्य व्रत प्रतिमा (८) आरंभ त्याग प्रतिमा (९) परिग्रह त्याग प्रतिमा (१०) अनुमति त्याग प्रतिमा (११) उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा ये देशव्रती श्रावक के ग्यारह भेद हैं ।।६९।। • सुहेण भाविदं गाणं दहे जादे विणस्सदि । तम्हा जहाबलं ओई अप्पा दुक्खेहिं भावए ।। (मो. पा. ६२)

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