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क्रोष्टुः
क्रोड = गोद । क्रोष्टुः - VII. 1. 95
(सम्बुद्धिभिन्न सर्वनामस्थान परे रहते तुन् प्रत्ययान्त) क्रोष्टु शब्द (तृज्वत् हो जाता है)।
क्रौड्यादिभ्यः - IV. 1. 80
(गोत्र में वर्त्तमान) क्रौड्यादि प्रातिपदिकों से (भी स्त्रीलिङ्ग में ष्यङ् प्रत्यय होता है) ।
क्रौड्या
क्रुड की पुत्री
क्र्यादिभ्यः
III. i. 81
डुक्रीञ् आदि धातुओं से (श्ना' प्रत्यय होता है; कर्तृ
वाचक सार्वधातुक परे रहने पर) ।
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... क्लमु... - III. 1. 70. देखें
- प्राशभ्लाश० III. 1. 70
.... क्लमु... - VII. iii. 75
देखें - ष्ठिवुक्लमुचमाम् VII. iii. 75
... क्लिश... - I. 1. 7
देखें - मृडमृदगुधकुषक्लिशवदवसः I. ii. 7
... क्लिश... - III. ii. - 146
देखें - निन्दहिंसo III. ii. 146
क्लिश: - VII. ii. 50
क्लिश् धातु से उत्तर (क्त्वा तथा निष्ठा को विकल्प से इट् आगम होता है)।
...क्लुकनौ - III. ii. 174
देखें - क्रुक्लुकनौ III. ii. 174
क्लेश... - III. ii. 50
देखें - क्लेशतमसो: III. ii. 50 क्लेशतमसोः - III. ii. 50
क्लेश तथा तमस् (कर्म) के उपपद रहते (अपपूर्वक हन् धातु से प्रत्यय होता है) ।
क्य - VII. ii. 105
(अत् विभक्ति के परे रहते किम् अङ्ग को) क्व आदेश होता है।
क्वणः - III. iii. 65
(निपूर्वक, अनुपसर्ग तथा वीणा विषय होने पर भी) क्वण् धातु से (कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में विकल्प से अप् प्रत्यय होता है, पक्ष में घञ्) ।
177
. क्वनिप्... - III. ii. 74 देखें - मनिन्क्वनिप् III. ii. 74
विवप्
क्वनिप् – III. ii. 94
(दृश् धातु से कर्म उपपद रहते) भूतकाल में क्वनिप् प्रत्यय होता है।
क्वरप् - III. ii. 163
(इ, ण, जि, सृ- इन धातुओं से तच्छीलादि कर्ता हो तो वर्तमानकाल में) क्वरप् प्रत्यय होता है।
... क्वरफ - IV. 1. 15
देखें - टिड्ढाणञ् IV. 1. 15
क्वसुः
- III. ii. 106
(वेदविषय में लिट् के स्थान में) क्वसु आदेश (भी) होता है, (विकल्प से) ।
क्वादे: - VII. iii. 59
कवर्ग आदि वाले धातु के (चकार तथा जकार के स्थान में कवर्गादेश नहीं होता) ।
fara... VI. iv. 15
देखें - क्विझलो: VI. iv. 15
क्विन् - III. ii. 58
(उदकभिन्न सुबन्त उपपद रहते 'स्पृश्' धातु से) क्विन् प्रत्यय होता है ।
क्विप्रत्ययस्य
-VIII. ii. 66
क्विन् प्रत्यय हुआ है जिस धातु से, उस पद को (कवर्गादेश होता है)।
क्विझलो - VI. iv. 15
(अनुनासिकान्त अङ्ग की उपधा को दीर्घ होता है); क्वि तथा झलादि (कित्, डित्) प्रत्यय परे रहते । क्विप् - III. 1. 61
(सद्, सू, द्विष, द्रुह, दुह, युज, विद, भिद, छिद, जि, नी, राजू - इन धातुओं से, सोपसर्ग हों तो भी तथा निरुपसर्ग हों तो भी, सुबन्त उपपद रहते ) क्विप् प्रत्यय होता है। faaq-III. ii. 76
(सब धातुओं से सोपपद हो चाहें निरुपपद) क्विप् प्रत्यय (भी) होता है।