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ठक
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ठक्-IV.III. 123
ठक्ठी - V. 1.76 (षष्ठीसमर्थ हल और सीर शब्दों से 'इदम' अर्थ में) (तृतीयासमर्थ अयःशूल तथा दण्डाजिन प्रातिपदिकों से
'चाहता है' अर्थ में यथासङ्ख्य करके) ठक् और उब ठक् प्रत्यय होता है।
प्रत्यय होते हैं। ठक्-IV. iv.1
अयःशूल = तीक्ष्ण उपाय। (यहां से लेकर तद्वहति रथयुगप्रासङ्गम्' से पहले-पहले
दण्डाजिन = दम्भ। जो अर्थ निर्दिष्ट किये गये हैं,वहां तक) ठक् प्रत्यय (का ...ठच... -V.1.79 अधिकार समझना चाहिये)।
देखें-दुष्छकठ० N. II. 79 ठक्-IV. iv. 81
ठ - IV. iv.64 (द्वितीयासमर्थ हल और सीर प्रातिपदिकों से 'ढोता है' । (अध्ययन-विषय में वृत्तकार्यसमानाधिकरणवाची प्रथअर्थ में ठक् प्रत्यय होता है।
मासमर्थ बह्वच पूर्वपदवाले प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में) ठक् -IV.Iv. 102 .
ठच् प्रत्यय होता है। (सप्तमीसमर्थ कथादि प्रातिपदिकों से साध अर्थ में)
ठच् - V. 11.78
(बहुत अच् वाले मनुष्यनामधेय प्रातिपदिक से अनुठक् प्रत्यय होता है।
कम्पा अथवा गम्यमान होने पर, अनुकम्पा से युक्त नीति ठक् - V. iv.13
गम्यमान होने पर विकल्प से) ठच् प्रत्यय होता है। (अनुगादिन् प्रातिपदिक से स्वार्थ में) ठक् प्रत्यय होता ठन् - V. iii. 109.
(एकशाला प्रातिपदिक से इवार्थ में विकल्प से) ठच् ठक्.-v.iv.34
प्रत्यय होता है)। . विनयादि प्रातिपदिकों से स्वार्थ में) ठक् प्रत्यय होता ...ठा... - IV.I. 15
देखें - टिड्डाण IV. i. 15 ठक् - V. 1.67
ठञ् -IV. ii. 34 (सप्तमीसमर्थ उदर प्रातिपदिक से 'पेटू' वाच्य हो तो (प्रथमासमर्थ देवतावाची महाराज तथा प्रोष्ठपद प्राति'तत्पर' अर्थ में) ठक् प्रत्यय होता है।
पदिकों से षष्ठ्यर्थ में) ठत्र प्रत्यय होता है। ठक्.... - V. 1.76
ठञ्-IV. 1.40 देखें - ठक्ठजो V. 1.76
(षष्ठीसमर्थ कवचिन् शब्द से समूह अर्थ में) ठञ् प्रत्यय
(भी) होता है। ...ठक: - IV. 1.79
ठप्... - IV. 1. 113 देखें-दुल्छकठ० IV. ii. 79
देखें-ठबिठौ IV.ii. 113 ठक्छसौ - IV. II. 114
ठञ्- IV. 1. 118 (वृद्धसंज्ञक भवत् शब्द से शैषिक) ठक् और छस् प्रत्यय
(उवर्णान्त देशवाची प्रातिपदिकों से शैषिक) ठज प्रत्यय होते हैं। .
होता है। ठक्छौ - IV. 1.83
ठ -IV. 1.6 (शर्करा शब्द से चातुरर्थिक) ठक् तथा छ प्रत्यय (भी)
(दिशावाची पूर्वपदवाले अर्ध प्रातिपदिक से) शैषिक होते हैं।
ठञ् (और यत्) प्रत्यय (होते है)।