________________
502
शसददवादिगुणानाम्
शरि - VIII. il. 36 (विसर्जनीय को विकल्प से विसर्जनीय आदेश होता है)शर परे रहते। ...शरीर... -III. iii. 41
देखें-निवासचिति III. iii. 41 शरीरसुखम् -III. lil. 116
(जिस कर्म के संस्पर्श से कर्ता को) शरीर का सुख उत्पन्न हो, (ऐसे कर्म के उपपद रहते भी धातु से ल्युट् प्रत्यय होता है)।
.. शरीरावयवात् - IV. ill. 55
(सप्तमीसमर्थ) शरीर के अवयववाची प्रातिपदिकों से (भी 'भव' अर्थ में यत् प्रत्यय होता है)। शरीरावयवात् -V.1.6
(चतुर्थीसमर्थ) शरीर के अवयववाची प्रातिपदिकों से (हित अर्थ में यत् प्रत्यय होता है)। ' शर्करादिश्य -V.III. 107
शर्करादि प्रातिपदिकों से (अण् प्रत्यय होता है, इवार्थ
शलः -III.1.45
शलन्त (जो इगुपध और अनिट् धातु उस) से (च्लि के स्थान पर क्स आदेश होता है, लुङ् परे रहते)। .. ...शलाका... -II.1. 10
देखें-अक्षशलाकासंख्याः II.i. 10 ....शलातुर... - IV. ili. 94
देखें - तूदीशलातुर IV. ii. 94 शलालुनः - IV.iv.54 (प्रथमासमर्थ) शलालु प्रातिपदिक से (इसका बेचना' विषय में विकल्प से ष्ठन् प्रत्यय होता है)। ...शश्वत: -III. I. 116
देखें - हशश्वत: III. ii. 116 शवसर्-प्रत्याहार सूत्र XIII
श.प.स वर्णों को पढ़कर भगवान् पाणिनि ने रेफ इत् किया है प्रत्याहार बनाने के लिये। इससे ५ प्रत्याहार बनते हैं-खर,चर, झर, यर और शर्। ...शस् - IV.1.2
देखें - स्वौजसमौट IV.1.2 शस् - V. iv. 42
(बहुत तथा थोड़ा अर्थ वाले कारकाभिधायी प्रातिपदिकों से विकल्प से) शस् प्रत्यय होता है। ...शस... -III. II. 182
देखें-दाम्नी III. II. 182 . शस... - VI. iv. 126
देखें-शसददOVI. iv. 126 शस: -VI.1.99
(प्रथमयोः पूर्वसवर्णः सूत्र से किये हुये पूर्वसवर्णदीर्घ से उत्तर) शस् के अवयव सकार को (नकार आदेश होता है, पुंल्लिङ्ग में)। शसः -VII. I. 21
(युष्मद, अस्मद् अङ्ग से उत्तर) शस् के स्थान में (नकारादेश होता है)। शसददवादिगुणानाम् -VI. iv. 126
शस, दद, वकार आदिवाले एवं गुण-ऐसा उच्चारण करके गुणादेश स्वरूप जो (अकार),उसके स्थान में (एत्त्व तथा अभ्यासलोप नहीं होता; कित, ङित् लिट् एवं पल परे रहते)।
...शर्कराभ्याम् - V.II. 104
देखें-सिकताशर्कराभ्याम् V. 1. 104 शर्कराया -N.I.2
शर्करा शब्द से (उत्पन्न चातुरर्थिक प्रत्यय का विकल्प से लुप होता है)। शपरे - VIII. II. 35
शरपरक (खर के परे रहते विसर्जनीय को विसर्जनीय आदेश होता है)। शपूर्वा: - VII. iv. 61
शर प्रत्याहार का कोई वर्ण पूर्व में है जिस (खय प्रत्या- हार) के, ऐसे (अभ्यास का खय् शेष रहता है)। ...शर्व... -1.1.48
देखें-इन्द्रवरुण V.1.48 ...शयवाये- VIII. II. 58 देखें- नुम्विसर्जनीय VIII. II. 58