Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

View full book text
Previous | Next

Page 560
________________ -542 सह-II.1.4 (सुबन्त के) साथ (समर्थ सुबन्त का समास होता है) यह अधिकार है। सह-II. ii. 28 (तुल्य योग में वर्तमान 'सह' अव्यय तृतीयान्त सबन्त) के साथ (समास को प्राप्त होता है और वह समास बहु- व्रीहिसंज्ञक होता है)। ...सह...-III. ii. 136 देखें- अलंकृञ् III. ii. 136 ...सह...-III. ii. 184 देखें- अर्तिलूथ III. ii. 184 सह..-IV.i.57 देखें-सहनविद्यमानo IV. 1.57 ...सह...- VII. ii. 48 देखें-इवसहO VII. ii. 48 ...सह...- VIII. iii. 70 देखें-सेवसितo VIII. iii. 70 सह-III. ii.63 सह धातु से (सुबन्त उपपद रहते छन्दविषय में 'वि' प्रत्यय होता है)। सहनश्विद्यमानपूर्वत्- IV.i.57 . सह, नज, विद्यमान शब्द पर्व में हो (और स्वाइवाची उपसर्जन अन्त में हो जिनके, उन प्रातिपदिकों से भी स्त्रीलिङ्ग में ङीष् प्रत्यय नहीं होता)। सहयुक्ते-II. iii. 19 'सह' = साथ अर्थ के योग में (अप्रधान में ततीया विभक्ति होती है)। ...सहस्...- V. iv. 27 देखें-ओजसहोम्भसा IV. iv. 27 ...सहस्...- VI. iii. 3 देखें- ओजसहोम्भस्o VI. iii. 3 सहस्य-VI. 1.77 सह शब्द को (स आदेश होता है, उत्तरपद परे रहते; सञ्जाविषय में)। सहस्य-VI. 11.94 सह शब्द को (सध्रि आदेश होता है, वप्रत्ययान्त अजु के उत्तरपद रहते)। ...सहस्त्र...-V.i.27 देखें-शतमानविंश V.1.27 . . ...सहस्त्रान्तात्-V.ii. 119 देखें- शतसहस्रान्तात् V. ii. 119 . ...सहस्त्राभ्याम्-V.1.29 . देखें-कार्षापणसहस्राभ्याम् V.i.29 ...सहस्राभ्याम्- V. ii. 102 देखें- तप:सहस्राभ्याम् V. ii. 102 सहस्रेण-IV. iv. 135 (तृतीयासमर्थ) सहस्र प्रातिपदिक से (तुल्य अभिधेय होने पर घ प्रत्यय होता है)। ...सहाम्- VIII. iii. 116 देखें-स्तम्भुसिवुसहाम् VIII. iii. 116 ...सहि...-III. ii. 46 . देखें-भृतृवृ० III. ii. 46 सहि...-VI. iii. 111 देखें- सहिवहो: VI. iii. 111 ...सहि...-VI. iii. 115 देखें-नहिवृतिळ VI. iii. 115 सहिवहो:- VI. iii. 111 (ढकार और रेफ का लोप होने पर) सह तथा वह धात के (अवर्ण को ओकारादेश होता है)। ...सहीनाम्- VIII. iii. 62 . देखें-स्विदिस्वदिसहीनाम् VIII. ii. 62 सहे-III. 1.86 सह शब्द उपपद रहते (भी ‘युध्' और 'कृञ्' धातु से 'क्वनिप्' प्रत्यय होता है, भूतकाल में)। सहे:- VIII. iii. 56 सह धातु के (साड् रूप के सकार को मूर्धन्य आदेश होता है)। सहे:- VIII. lil. 109 (पृतना तथा ऋत शब्द से उत्तर भी) सह धातु के (सकार को वेदविषय में मूर्धन्य आदेश होता है)। ....सहो:-III. 1.99 देखें-शकिसहोः III.1.99

Loading...

Page Navigation
1 ... 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600