Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

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Page 582
________________ ...स्फिर... 564 स्मोतरे अञ्जस् = सीधा। अध्वन् = मार्ग,समय, आकाश, साधन। . कुक्षि = कोख, पेट, गर्भाशय, गर्त,खाड़ी। ...स्फिर... -VI. iv. 157 देखें-प्रियस्थिरo VI. iv. 157 स्फी-VI.i. 22 (स्फायी धातु को निष्ठा के परे रहते) स्फी आदेश हो जाता है। स्फुरति...-VI.1.46 देखें- स्फुरतिस्फुलत्योः VI. 1. 46 . स्फुरति...- VIII. iii. 764 देखें-स्फुरतिस्फुलत्यो: VIII. 1.76 स्फुरतिस्फुलत्यो:-VI.1.46 स्फुर् तथा स्फुल् धातुओं के (एच् के स्थान में घञ् प्रत्यय के परे रहते (आकारादेश हो जाता है)। स्फुरतिस्फुलत्यो:- VIII. III. 76 (निर,नि,वि उपसर्ग के उत्तर) स्फुरति तथा स्फुलति के (सकार को विकल्प से मूर्धन्यादेश होता है)। ...स्फुरो:- VI. 1.53 देखें-चिस्फुरो: VI.i. 53 ...स्फुलत्यो:-VI.I. 46 . देखें- स्फुरतिस्फुलत्यो: VI. 1.46 ...स्फुलत्यो:- VIII. Iii. 76 देखें-स्फुरतिस्फुलत्यो: VIII. 1.76 स्फोटायनस्य-VI.i. 119 (अच् परे रहते गो को अवङ् आदेश विकल्प से होता है) स्फोटायन आचार्य के मत में। स्मयते:-VI..56 (हेत जहाँ भय का कारण हो,उस अर्थ में वर्तमान) मिङ धातु के (एच के विषय में णिच् परे रहते नित्य ही आत्व हो जाता है)। स्मात्..- VII. 1. 15 देखें-स्मास्मिनो VII. I. 15 स्मास्मिनौ-VII. 1. 15 (आकारान्त अङ्ग से उत्तर असि तथा ङि के स्थान में क्रमशः) स्मात् तथा स्मिन् आदेश होते हैं। ...स्मि...-III. 1. 167 देखें- नमिकम्पि III. 1. 167 स्मि...-VII. ii.74 देखें- स्मिपूड VII. ii. 74 ..स्मिनौ- VII. 1. 13 . देखें- स्मास्मिनौ VII. 1. 13 स्मिपूज्ज्व शाम्- VII. ii. 74 स्मिङ्, पूङ,ऋ, अङ्ग, अशू -इन अङ्गों के (सन् को इट् आगम होता है)। ...स्मृ...-I. iii. 57 देखें-ज्ञाश्रुस्मृदशाम् I. iii. 57 स्म...- VII. iv.95 देखें-स्मृदत्वर VII. iv. 95 स्मृदृत्वरप्रथमदस्तृस्पशाम्- VII. iv. 95. स्म, द, जित्वरा, प्रथ, प्रद, स्तन, स्पश् -इन अङ्गों के .. (अभ्यास को चङ्परक णि परे रहते अकारादेश होता है)। स्मे-III. II. 118 (परोक्ष अनद्यतन भूतकाल में वर्तमान धातु से) स्म शब्द उपपद रहते (लट् प्रत्यय होता है)। , स्मे-III. iii. 165 . औष, अतिसर्ग और प्राप्तकाल अर्थ गम्यमान हों तो मुहूर्त भर से ऊपर के काल को कहने में) स्म शब्द उपपद रहते (धातु से लोट् प्रत्यय होता है)। प्रैष = भेजना, आदेश, उन्माद । अतिसर्ग = स्वीकृति, अनुमति, पृथक करना। प्राप्तकाल = समयानुकूल यथाऋतु । , (अकारान्त सर्वनाम अङ्ग से उत्तर के के स्थान में) स्मै आदेश होता है। स्मोत्तरे - III. ill. 176 स्म शब्द अधिक है जिससे,उस (माङ् शब्द) के उपपद रहते (धातु से लङ् तथा लुङ् प्रत्यय होते है)। हमेशात

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