________________
...स्वपि...
...स्वपि... - VI. 1. 15 देखें- वचिस्वपिo VI. 1. 15
Kafa...- VI. i. 19
देखें... - स्वपिस्यमिo VI. 1. 19
स्वपितृषोः - III. 1. 172
स्वप् तथा तृष् धातुओं से ( तच्छीलादि कर्ता हो, तो वर्तमानकाल में नजिङ् प्रत्यय होता है)। 1
स्वपिस्यमिव्येआम् - VI. 1. 19
ञिष्वप् स्यमु तथा व्येञ् धातुओं को (यङ् प्रत्यय के परे रहते सम्प्रसारण हो जाता है)।
स्वम् - I. 1. 34
स्व शब्द (की जस्-सम्बन्धी कार्य में विकल्प से सर्वनाम संज्ञा होती है, ज्ञाति तथा धन की आख्या को छोड़कर) । ज्ञाति = पिता, भाई आदि ।
स्वम् - I. 1. 67
(इस व्याकरणशास्त्र में शब्द के) अपने (रूप का ग्रहण होता है, उस शब्द के अर्थ का नहीं और न ही पर्यायवाची शब्दों का, शब्दसंज्ञा को छोड़कर) ।
स्वम् - IV. Iv. 123
षष्ठीसमर्थ असुर प्रातिपदिक से) 'अपना' - इस अर्थ में (यत् प्रत्यय होता है, वेदविषय में) ।
स्वम् - VI. 1. 17
(स्वामिन् शब्द उत्तरपद रहते तत्पुरुष में) स्ववाची पूर्वपद को (प्रकृतिस्वर हो जाता है)।
स्वयम् - II. 1. 24
'स्वयम्' यह अव्यय ( क्तान्त समर्थ सुबन्त के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुष समास होता है।
... स्वर... - I. 1. 57
देखें- पदान्तद्विर्वचनवरेयलोप० I. 1. 57
... स्वर... - VII. 1. 18
1. देखें- मन्यमनस् VII. 1. 18
... स्वर... - VIII. 1. 22
देखें- सुस्वर VIII. 1. 22
567
स्वरति... - VII. 1. 44 देखें- स्वरतिसूतिo VIL. II. 44
स्वरतिसूतिसूयतिधूजूदितः - VII. 1. 44
'स्वृ शब्दोपतापयोः', 'सूङ् प्राणिगर्भविमोचने', 'षूङ् प्राणिप्रसवे, 'धूञ् कम्पने' तथा ऊदित् धातुओं से उत्तर (वलादि आर्धधातुक को विकल्प से इट् आगम होता है)। Tarifa... - I. i. 36
देखें- स्वरादिनिपातम् I. 1. 36 स्वरादिनिपातम् - I. 1. 36
स्वरादिगणपठित शब्दों की तथा निपातों (की अव्यय संज्ञा होती है)।
... स्वरितयोः
स्वरित... - I. iii. 72
देखें- स्वस्तित्रितः I. 1. 72
स्वरितः- 1. ii. 31
(समाहार = उदात्त, अनुदात्त उभयगुणमिश्रित अच् की) स्वरित संज्ञा होती है।
स्वरितः - VIII. II. 4
(उदात्त और स्वरित के स्थान में वर्तमान यण् से उत्तर अनुदात्त के स्थान में) स्वरित आदेश होता है। स्वरितः - VIII. 1. 6
( पदादि अनुदात्त के परे रहते उदात्त के साथ में हुआ जो एकादेश, वह विकल्प करके) स्वरित होता है। स्वरितः - VIII. iv. 65
(उदात्त से उत्तर अनुदात्त को) स्वरित होता है स्वरितत्रितः - Iiii. 72
स्वरित इत् वाली तथा ञकार इत् वाली धातुओं से (आत्मनेपद होता है, यदि उस क्रिया का फल कर्ता को मिलता हो तो)।'
... स्वरितपरस्य - I. ii. 40
देखें- उदात्तस्वरितपरस्य I. 1. 40
स्वरितम् - VI. 1. 179
(तकार इत्सञ्ज्ञक है जिसका, उसको) स्वरित होता है। स्वरितम् - VII. 1. 103
(आम्रेडित परे रहते, पूर्वपद की टि को) स्वरित (प्लुत) होता है; (असूया, सम्मति, कोप तथा कुत्सन गम्यमान होने पर)।
'
... स्वरितयोः
-VIII. ii. 4 देखें- उदात्तस्वरितयो: VIII. II. 4