Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

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Page 589
________________ 571 हनः -III. I. 49 ...हन्ति ... -VIII. iv. 17 (आशीर्वचन गम्यमान होने पर) हन् धातु से (कर्म उप- देखें- गदनदO VIII. iv. 17 पद रहते ड प्रत्यय होता है)। हन्ते:-VI. iv. 36 हन-III. 1.86 हन् अङ्ग के स्थान में (हि परे रहते ज आदेश होता 'हन्' धातु से (कर्म उपपद रहते भूतकाल में 'णिनि' प्रत्यय होता है)। हन्ते:-VII. iii. 54 हनः-III. 1.76 हन् धातु के (हकार के स्थान में कवर्गादेश होता है; (अनुपसर्ग) हन् धातु से (भाव में अप् प्रत्यय होता है. जित्, णित् प्रत्यय तथा नकार परे रहते)। तथा साथ ही हन् को वध आदेश भी हो जाता है)। हन्ते:- VIII. iv. 21 हनः-III. iv. 37 (उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर अकार पूर्व है जिससे, (करण कारक उपपद हो तो) हन् धातु से (णमुल् प्रत्यय ऐसे) हन धातु के (नकार को णकारादेश होता है)। होता है)। हयवस्ट् - प्रत्याहारसूत्र V हन-VII. iii. 32 हय,वर वर्णों का उपदेश कर अन्त में टकार को इत् - हन् अङ्ग को (तकारादेश होता है; चिण तथा णमुल किया है, प्रत्याहार बनाने के लिए। इससे एक प्रत्याहार बनता है - अट्। प्रत्यय को छोड़कर जित्, णित् प्रत्यय परे रहते)। हननी-IV. iv. 121 ..हयो:- VIII. ii. 85 देखें-हैहयो: VIII. 1.85 (षष्ठीसमर्थ रक्षस तथा यात प्रातिपदिकों से) हननी अर्थ हरति-IV.iv. 15 में (यत् प्रत्यय होता है)। (ततीयासमर्थ उत्सङ्गादि प्रातिपदिकों से) 'स्थानान्तर रक्षस् = पिशाच,बेताल। प्राप्त करता है' - अर्थ में (ठक प्रत्यय होता है)। यातु = यात्रा, हवा, समय, भूतप्रेत,राक्षस। हननी = जिसके द्वारा हनन किया जाए। . हरति-v.i. 49 . (वंशादिगणपठित प्रातिपदिकों से उत्तर जो भार शब्द, ...हनो:- VII. 1.70 तदन्त द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से) 'हरण करता है'. देखें- ऋद्धनो: VII. ii. 70 (वहन करता है' और 'उत्पन्न करता है' अर्थों में यथाहन्कृष्यह-III. iv. 36 विहित प्रत्यय होते है)। . (समूल,अकृत तथा जीव कर्म उपपद हों तो यथासङ्ख्य हरते:-III. 1.9 .. करके) हन्, कृञ् तथा ग्रह धातुओं से (णमुल् प्रत्यय होता (अनुद्यमन = पुरुषार्थ से कार्य को सम्पादित न करना अर्थ में वर्तमान) हृञ् धातु से (कर्म उपपद रहते अच ...हन्त... -VIII.1.30 प्रत्यय होता है)। • देखें- यद्यदिO VIII. 1. 30 हरते:-III. 1. 25 हन्त-VIII. I. 54 'ह' धातु से (दृति' तथा 'नाथ' कर्म उपपद रहते पशु . हन्त से युक्त (सोपसर्ग उत्तमपुरुषवर्जित लोडन्त तिङन्त अभिधेय होने पर 'इन्' प्रत्यय होता है)। को भी विकल्प से अनुदात्त नहीं होता)। दृति = मशक, मछली,खाल, धौंकनी। fat– N. iv. 35 नाथ = प्रभु, पति,बैल की नाक में डाली रस्सी। द्वितीयासमर्थ पक्षी, मत्स्य तथा मृगवाची प्रातिपदिकों ...हरित... -V.iv. 125 से) मारता है - अर्थ में (ठक् प्रत्यय होता है)। देखें-सुहरितov.iv. 125

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