Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

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Page 522
________________ शाणाद् 504 शाश्वतिक: शाणाद् - V.1.35 (अध्यर्द्ध पूर्व वाले तथा द्विगसज्जक) शाण शब्दान्त प्रातिपदिक से (तदर्हति'-पर्यन्त कथित अर्थों में विकल्प से यत् प्रत्यय होता है)। शात् - VIII. iv. 43 शकार से उत्तर (तवर्ग को श्चुत्व नहीं होता)। ...शादात् - IV. ii. 87 देखें-नडशादात् IV. 1.87 शान -III. 1.83 (हलन्त से उत्तर श्ना के स्थान में 'हि' परे रहते) शानच आदेश होता है। ...शानचौ-III. 1. 124 देखें- शतृशानचौ III. ii. 124 शानन् - III. il. 128 (पूङ तथा यज् धातुओं से वर्तमानकाल में) शानन् प्रत्यय होता है। ...शान्त... - VII. il. 27 देखें-दान्तशान्त० VII. 1.27 ...शान्य -III.1.6 देखें-मान्बधदान्शान्यः III. 1.6 ...शाम् - VIII. il. 36 देखें-प्रश्वप्रम VIII. II. 36 ...शाम्यति -VIII. Iv.17 देखें-गदनदOVIII. iv. 17 शायच् - III.1.84 (श्ना के स्थान में, वेदविषय में) शायच् आदेश होता है (तथा शानच् भी होता है)। शारदे -VI. 1.9 (अनार्तववाची) शारद शब्द उत्तरपद परे रहते (तत्पुरुष समास में पूर्वपद को प्रकृतिस्वर हो जाता है)। अनार्तव = असामयिक। ...शारिका... - VIII. iv. 4 देखें-पुरगामिश्रकाO VIII. iv.4 ...शारिकुक्ष... -V.iv. 120 देखें-सुप्रातसुश्व० V. iv. 120 शार्गरवादि... -IV.1.73 देखें-शारवाचकIV.i.73 शारिवाधरः-IV.1.73 (अनुपसर्जन जातिवाची) शार्ङ्गरवादि तथा अजन्त प्रातिपदिकों से (स्त्रीलिङ्ग में डीन् प्रत्यय होता है)। शालच्... -V.ii. 28 देखें-शालच्छड्कटचौ v.ii. 28 शालच्छड्कटचौ - V.ii. 28 - (वि उपसर्ग प्रातिपदिक से) शालच तथा शङ्कटच् प्रत्यय होते हैं। ...शालम् - VI. ii. 102 देखें-कुसूलकूप० VI. ii. 102 ..शाला.. - II. iv. 25 देखें - सेनासुराल II. iv. 25 ...शाला... -VI. ii. 120 देखें - कूलतीर० VI. ii. 120 शालायाम् - VI. ii. 86 शाला शब्द उत्तरपद रहते (छात्रि आदि शब्दों को आधु- ।। दात्त होता है)। शालायाम् - VI. ii. 123 (नपुंसकलिङ्ग वाले) शालाशब्दान्त (तत्पुरुष समास) में (उत्तरपद को आधुदात्त होता है)। ...शालावत्... - V. 1. 118 . देखें - अभिजिद्ov. ii. 118. शालीन...-v.ii. 20 देखें-शालीनकौपीने V.ii. 20 शालीनकौपीने - V. ii. 20 शालीन तथा कौपीन शब्द (यथासङ्ख्य करके अधृष्ट' तथा 'अकार्य' वाच्य हों तो) निपातन किये जाते हैं। ....शालीनीकरणयोः -I. iii. 70 देखें-सम्माननशालीनीकरणयोः I. iii.70 ...शाल्योः - V.ii.2 देखें-व्रीहिशाल्यो: V.ii.2. शाश्वतिकः - II. iv. 8 स्वाभाविक (विरोध है जिनका,तद्वाची सुबन्तों का द्वन्द्व . एकवद् होता है)।

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