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प्रस्थोत्तरपदपलच्चादिकोपधात्
प्रस्थोत्तरपदपलद्यादिकोपधात् IV. II. 109
प्रस्थ शब्द उत्तरपद हो जिनका उन शब्दों से पलद्यादि गण के शब्दों से तथा ककार उपधावाले शब्दों से (अण् प्रत्यय होता है)।
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प्रहरणम् - IV. ii. 56
(प्रथमासमर्थ) प्रहरण आयुध समानाधिकरण वाले प्रातिपदिकों से (सप्तम्यर्थ में ण प्रत्यय होता है, यदि ' अस्य' से निर्दिष्ट क्रीडा हो) ।
प्रहरणम् - IV. iv. 57
(प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में ठक् प्रत्यय होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक) शस्त्र हो ।
प्रहासे - I. iv. 105
2
परिहास गम्यमान होने पर भी मन्य है उपपद जिसका, ऐसी धातु से युष्मद् उपपद रहते, समान अभिधेय होने पर, युष्मद् शब्द का प्रयोग हो या न हो तो भी मध्यम पुरुष हो जाता है तथा उस मन् धातु से उत्तम पुरुष हो जाता है और उत्तम पुरुष को एकत्व भी हो जाता है)।
प्रहासे - VIII. 1. 46
(एहि तथा मन्य से युक्त लडन्त तिङन्त को) हंसी गम्यमान हो तो (अनुदात्त नहीं होता) ।
प्राक् - 1. iv. 56
( अधिरीश्वरे 1. iv. 96 सूत्र से पहले-पहले (निपात संज्ञा का अधिकार जाता है) ।
381
प्राक् – II. 1. 3
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प्राक् - I..iv. 79
( गति और उपसर्ग संज्ञक शब्द धातु से पहले (होते हैं) ।
('कडाराः कर्मधारये ' II. ii. 38 से पहले-पहले (समास सञ्ज्ञा का अधिकार जायेगा) ।
प्राक् - IV. 1. 83
( तेन दीव्यतिo IV. iv. 2 से पहले-पहले (अण् प्रत्यय का अधिकार है)।
X-IV. iv. 1
(यहाँ से आरम्भ कर 'तद्वहति रथयुगप्रासङ्गम् ' सूत्र के) पहले-पहले (जो अर्थ निर्दिष्ट किये गये है, वहां तक ठक् प्रत्यय का अधिकार जानना चाहिये) ।
प्राक् - IV. iv. 75
(यहाँ से लेकर ‘तस्मै हितम् ' के) पहले कहे जाने वाले अर्थों में (अपवाद को छोड़कर सामान्यतया यत् प्रत्यय का अधिकार रहेगा ।
प्राक् - V. 1. 1
(यहाँ से आगे 'तेन क्रीतम् ' V. 1. 36 से) पहले (जितने अर्थ कहे गये हैं, उन सब अर्थों में छ प्रत्यय होता है)।
प्राक् - V. 1. 18
=
(यहाँ से आगे बति ‘तेन तुल्यं क्रिया चेद् वतिः’ से) पहले-पहले तक (ठञ् प्रत्यय अधिकृत होता है)।
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प्राक् – Viii. 1
...प्राच्...
(यहाँ से आगे 'दिक्शब्देभ्यः सप्तमीपञ्चमी' V. iii. 27 सूत्र से पहले-पहले (जितने प्रत्यय कहे हैं, उन सबकी विभक्ति सञ्ज्ञा होती है) ।
प्राक् - Viii. 49
(भाग' अर्थ में वर्तमान पूरण प्रत्ययान्त एकादश संख्या से पहले-पहले (जो सङ्ख्यावाची शब्द, उनसे स्वार्थ में अन्) (प्रत्यय होता है, वेदविषय को छोड़कर।
प्राक् - V. iii. 70
(इवे प्रतिकृती' vi. 96 सूत्र से पहले-पहले (क प्रत्यय अधिकृत होता है)।
SINE-V. ill. 71
(अव्यय तथा सर्वनामवाची प्रातिपदिकों से एवं तिङन्त से इवार्थ से पहले-पहले अकच् प्रत्यय होता है और वह टि से पूर्व होता है) ।
प्राक्
VIII. iii.63
(सित शब्द से पहले-पहले (अट् का व्यवधान होने पर तथा अपि-ग्रहण से अट् का व्यवधान न होने पर भी सकार को मूर्धन्य आदेश होता है)।
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... प्राशु - IV. 1. 75
देखें सौवीरसाल्क IV. 1. 75
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... प्राच्... - IV. ii. 100 देखें - प्रागपागुo IV it. 100