Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

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Page 513
________________ 10 ...व्याख्यान... ...व्यज...-III. HI. 119 देखें-गोचरसञ्चार III. iii. 119 ...व्यान... -II. iv. 12 देखें-वृक्षमगतृणधान्य II. iv. 12 व्यज्ञानम् - II. I. 33 (तृतीयान्त) व्यानवाची सुबन्त (अन्नवाची समर्थ सुबन्त के साथ विकल्प से तत्पुरुष समास को प्राप्त होता व्यशनैः-N.iv. 26 (तृतीयासमर्थ) व्यञ्जनवाची प्रातिपदिकों से (ऊपर से डाला हुआ' अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। व्यत् - IV.i. 144 (प्रात शब्द से अपत्य अर्थ में) व्यत् (तथा छ) प्रत्यय होता है। व्यत्ययः -III. 1.85 (वेदविषय में सभी विधियाँ) व्यतिगमन या व्यतिहार = परस्पर एक दूसरे के स्थान में (बहुल करके हो जाती ....व्ययतीनाम् - VII. ii. 66 . देखें - अत्यतिव्ययतीनाम् VII. II. 66 .व्ययेषु -I. 1. 36 देखें-सम्माननोत्सर्ग1. ii. 36 ...व्यवसर्गयो: -v.iv.2 देखें-दण्डव्यवसर्गयो: V. iv.2 व्यवस्थायाम् -I.1.33 (पूर्व, पर, अवर, दक्षिण, उत्तर, अपर, अधर शब्दों की . जस्-सम्बन्धी कार्य में विकल्प से सर्वनाम संज्ञा होती है, यदि संज्ञा से भिन्न) व्यवस्था हो तो। व्यवहरति - IV. iv.72 (सप्तमीसमर्थ कठिन शब्द अन्त वाले,प्रस्तार तथा संस् थान प्रातिपदिकों से) 'व्यवहार करता है' अर्थ में (ठक प्रत्यय होता है)। व्यवहिता -I. iv. 89 (वे गति और उपसर्ग-संज्ञक शब्द वेद में) व्यवधान से (भी) होते हैं। व्यवह.. -II. 1.57 देखें- व्यवहपणोः II. ii. 57 व्यवहपणो: -II. iii. 57 (समान अर्थ वाली) वि और अव उपसर्ग पूर्वक 'ह' धातु तथा 'पण' धातु के (कर्मकारक में षष्ठी विभक्ति होती है)। व्यर्थ -VII. iv.68 व्यथ् अङ्ग के (अभ्यास को लिट् परे रहते सम्प्रसारण होता है)। व्यथ.. -III. iii. 61 - देखें-व्यवजयोः III. 1.61 व्यकापोः -III. iii.61 (उपसर्गरहित) व्यध् तथा जप् धातुओं से (कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में अप् प्रत्यय होता है)। ...व्यथा.. -III. 1. 141 देखें-श्याव्य III. 1. 141 ...व्यधि..-VI. I. 16 देखें - अहिज्या० VI.i. 16. ...व्यधि... -VI. iii. 115 देखें - नहिवृतिः VI. iii. 115 व्यन् - IV.i. 145 (प्रातृ शब्द से सपल अर्थात् शत्रु वाच्य हो तो) व्यन् प्रत्यय होता है। ...व्यापाय...-III. 1. 146 देखें-निन्दर्हिस III. 1. 146 व्यवायिनः - VI. ii. 166 व्यवधायकवाची शब्द से उत्तर (उत्तरपद अन्तर शब्द को बहुव्रीहि समास में अन्तोदात्त होता है)। ...व्या... -VII. 1.37 देखें-शाच्छासा० VII. iii. 37 व्याख्यातव्यनाम्नः-IV. iii. 66 (षष्ठीसमर्थ) व्याख्यान किये जाने योग्य जो प्रातिपदिक, उनसे (व्याख्यान अभिषेय होने पर यथाविहित प्रत्यय होता है तथा सप्तमीसमर्थ व्याख्यातव्यनामवाची शब्दों से 'भव' अर्थ में भी यथाविहित प्रत्यय होता है)। ...व्याख्यान... -VI.ii. 151 देखें- मन्वितन VI. ii. 151

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