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मूलम्
मूलम् - IV. iv. 88
(आबर्हि उत्पाटनीय समानाधिकरण प्रथमासमर्थ) मूल प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में यत् प्रत्यय होता है)।
.. मूले - V. 1. 24
देखें - पाकमूले V. II. 24
... मृ... III. i. 59
देखें - कृप० III. 1. 59
... मृग... - II. iv. 12देखें
=
-
... मृग... - V. Iv. 98
देखें उत्तरमृणपूर्वात् Viv. 98
मृग: - IV. iii. 51
वृक्षमगतृणधान्य II. Iv. 12.
(सप्तमीसमर्थ कालवाची प्रातिपदिकों से) 'मृग (शब्द करता है' अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है)।
... मृगान् - IV. Iv. 35 देखें
-
.. मृज... - VIII. 1. 36
देखें - व्रश्चनस्जo VIII. 1. 36
मुजेः
III.1.113
मृज् धातु से (विकल्प से क्यप् प्रत्यय होता है) ।
मृजे VII. 1. 114
मृज् अङ्ग के (इक् के स्थान में वृद्धि होती है)।
पक्षिमत्स्यमृगान् IV. Iv. 35
मृड... - I. 1. 7
देखें - मृडमृदगुधकुषक्लिशवदवसः I. 11. 7 ....... - IV. 1. 48
देखें इन्द्रवरुणभव IV. 1. 48
-
मृडमृदगुधकुषक्लिशवदवस 1. 11.7
-
'मृद्द सुखने', 'मुद क्षोदे', 'गुम रोषे', 'कुष निष्कर्षे, 'क्लिशू विबाधने', 'वद व्यक्तायां वाचि', 'वस निवासे', - इन धातुओं से परे ( क्त्वा प्रत्यय कित्वत् होता है)।
-
... मृत - VI. 1. 116
देखें - जरमर० VI. ii. 116
-
420
.... मुद...] - 1. 11.7
देखें - मृडमृदगुधकुषक्लिशवदवसः 1. II. 7
V. iv. 39
मृद् प्रातिपदिक से ( स्वार्थ में तिकन् प्रत्यय होता है)।
मृष - I. 1. 20
(क्षमा अर्थ में वर्तमान) मृष् धातु से परे (सेंट् निष्ठा प्रत्यय कितु नहीं होता है)।
-I. iii. 82
(परि उपसर्ग से उत्तर) 'मृष्' धातु से (परस्मैपद होता है) ।
...मृषि... - III. 25
देखें - तृषिमृषिकृशेः I. II. 25
... मृषोध... - III. 1. 114.
देखें- राजसूयसूर्य० III. 1. 114
मे - III. iv. 89
(लोडादेश जो) मिए उसके स्थान में (नि आदेश हो
जाता है)।
मेघ... - 111. 1. 43
देखें - मेघसिंचयेषु III. II. 43
मेघर्तिभयेषु - IIIII. 43
मेघ ऋति, भय इन (कर्मों) के उपपद रहते (कुञ
धातु से खच् प्रत्यय होता है)।
मैरेये
... मेघेभ्यः - III. 1. 17
देखें - शब्दवैरकलहा०] III. 1. 17
मेजर - LL. 38
मकारान्त तथा एबन्त (कृत्) शब्द (अव्ययसंज्ञक होते
है)।
... मेघयो: - V. Iv. 122
देखें - प्रजामेधयो: Viv. 122
... मेघा ... - V. ii. 121
देखें - अस्मायामेचाo VII. 121 ... मैत्रेय... - VI. iv. 174 देखें दाण्डिनायन VI. Iv. 174 .... मैथुनिकयो - IV. 1. 124
देखें वैरमैथुनिकयो: IV. ii. 124
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... मैथुनेच्छा... - IV. 1. 42
देखें वृत्यमत्रावपनाo IV. 1. 42
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मैरेये - VI. 1. 70
मैरेय शब्द उत्तरपद रहते (उसके उपादानकारणवाची पूर्वपद को आद्युदात्त होता है)।