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त्रिचतुरोः
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....... - VI. iii. 132
देखें- तुनुघमक्षु० VI. iii. 132 ....... - VII. 1.9
देखें - तितुत्र० VII. ii.9 त्रतसो: -II. iv. 33 • त्र और तस प्रत्ययों के परे रहते (अन्वादेश में वर्तमान एतद् के स्थान में अनुदात्त अश् होता है तथा त्र और तस् भी अनुदात्त होते है)। त्रतसौ - II. iv. 33.
व तथा तस परे रहते अन्वादेश में वर्तमान एतट के स्थान में अनुदात्त अश् आदेश होता है और वे) त्र, तस् प्रत्यय (भी अनुदात्त होते हैं)। ....मन्... -VI. iv.97
देखें-इस्मन् VI. iv.97 ....त्रप्... - VI. iv. 157 . देखें- प्रस्थस्फ० VI. iv. 157 ...त्रप: -VI. iv. 122
देखें - तृफल० VI. iv. 122 ...त्रपि..-III. I. 126
देखें - आसुयुवपि० III. i. 126 त्रपु... - IV. ii. 135
देखें - पुजतुनो: IV. iii. 135 पुजतुनोः - IV. iii. 135
(षष्ठीसमर्थ) त्रपु और जतु प्रातिपदिकों से (अण् प्रत्यय होता है तथा इन दोनों को षुक् आगम भी होता है)। त्रय: - VI. iii. 47
वि शब्द को) त्रयस आदेश होता है; (सङ्ख्या उत्तरपद रहते,बहुव्रीहि समास तथा अशीति को छोड़कर)। त्रय: - VII. i. 53
(त्रि अङ्ग को) त्रय आदेश होता है, (आम् परे रहते)। त्रयाणाम् - VII. iv.78
(णिजिर् आदि) तीन धातुओं के (अभ्यास को श्लु होने पर गुण होता है)।
उल्-. iii. 10
(सप्तम्यन्त किम,सर्वनाम तथा बहु प्रातिपदिकों से) त्रल प्रत्यय होता है। ...असाम् - VI. iv. 124
देखें - प्रमु० VI. iv. 124 ...त्रास... -III. 1.70
देखें- प्राशलाशo III. 1.70 त्रसि... -III. ii. 140
देखें-सिगृधि० III. ii. 140 सिगृधिषिक्षिपे:- III. ii. 139
त्रसि,गृधि,धृषि तथा क्षिप् धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हो तो वर्तमान काल में क्नु प्रत्यय होता है)। त्रा-v.iv.55
(देने योग्य वस्तु तदधीनवचन वाच्य हो तो कृ, भू तथा अस के योग में तथा सम् पूर्वक पद के योग में) वा प्रत्यय (तथा साति प्रत्यय होते है)। ....त्रा... - VIII. ii. 56
देखें - नुदविदोन्द० VIII. ii. 56 ...त्रार्थानाम् - 1. iv. 25
देखें - भीत्रार्थानाम् I. iv. 25 ...त्रि... -v.iv. 18
देखें – द्वित्रिचतुर्थ्य: V. iv. 18 ...त्रि... - VI. 1. 173
देखें- तिचतुर्थ्य: VI.1. 173 त्रि... -VII. ii. 99
देखें - त्रिचतुरो: VII. ii. 99 ...त्रि... - VIII. iii.97
देखें- अम्बाम्ब० VIII. iii.97 त्रिककत-V. iv. 147
(पर्वत अभिधेय हो तो बहुव्रीहि समास में) त्रिककुत् शब्द निपातन किया जाता है। ...त्रिगर्तषष्ठात् - v. iii. 116
देखें - दामन्यादि० V. iii. 116 त्रिचतुरोः - VII. 1. 99
त्रि तथा चतुर अङ्ग को (स्त्रीलिङ्ग में क्रमशः तिसृ,चतसू आदेश होते हैं, विभक्ति परे रहते)।