Book Title: Amantran Arogya ko Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Adarsh Sahitya Sangh View full book textPage 9
________________ सम्पादकीय 'आमंत्रण आरोग्य का कितना विचित्र है यह शीर्षक कौन नहीं बुलाता है आरोग्य को ? व्यक्ति क्या-क्या नहीं करता है आरोग्य के लिए ? मैंने पढ़ा था एक दिनएक व्यक्ति तेईस वर्ष से निरन्तर प्रतिदिन पचहत्तर गोलियां खाता है केवल स्वास्थ्य के लिए, स्वस्थ बने रहने के लिए वह छह लाख गोलियां खा चुका है, और गिनीज वर्ल्ड बुक में अपना नाम दर्ज कराकर बना रहा है दवा खाने का विश्व रिकार्ड । यह आरोग्य की चिन्ता का एक निदर्शन है, क्या प्रश्न केवल शरीर का ही है ? चिन्तन, विचार और मन का नहीं है ? शरीर महत्त्वपूर्ण है या मन ? व्यक्ति की अपनी समस्या है शरीर का रोग सामाजिक समस्या है चिन्तन और मन का रोग । हमारी मानसिकता, हमारा चिन्तन म्वस्थ है या रुग्ण ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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