Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 06
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi
View full book text
________________ आगमोद्धारककृतिसन्दोहे स्वपरग्रामानीतं, यतयेऽभिहतं द्विधेह तत्रैकम् / अज्ञातमभिहृततया, प्रच्छन्नं प्रकटमितरस्तु / / 168 / / आचीणं त्वानीतं, हस्तशतान्तहत्रितयमध्ये / ___ तत्रैकस्मिन् भिक्षाग्राह्य पयुक्तो द्वयोरपरः / / 169 / / उद्भिन द्वधा स्यात्तव जतुच्छगणकादिपिहितं सत् / __उद्घाट्यते मुनिकृते, तत्पिहितोभिन्नमतिदुष्टम् / 170 तत्तु कपाटोनिन, यद्दत्तकपाटकेऽपवरकादौ / मुनिदानाय कपाटावुद्घाट्य गुडादिकं दत्ते // 171 // ऊर्ध्वाध उभयतिर्यग्देशे विषमे स्थितं तु भक्तादि। करदुर्ग्राह्य दत्ते, मालापहृतं चतुर्भेदम् // 172 / तत्रोचं शिक्यकगृहमालायधस्तु भूमिगृहमुख्यम् / ___ उभयं मञ्जूषा-कोष्ठकादि तिर्यग्गवाक्षादि // 173 // आच्छेद्य भृत्य१ कुटुम्ब२ सहचरेभ्य३ स्त्रिधा यदाच्छिद्य / ___दत्ते स्वामी राजा, प्रभुगृहेशश्च दस्युश्च // 174 // दिशति बहुस्वाधीनं, यदेक एवानिसृष्ठमाहुस्तत् / ___ तत्साधारणकोल्लगजभिदाभिस्त्रिधा तत्र // 17 // आनीय हङ्गेहादिस्थं साधारणं ददात्येकः / तिलकुट्टितेलवसनाशनादिकं तद्भवेदेकम् // 176 / / गोष्ठिकभक्तं चोल्लकमेकस्य प्रविशतो द्वितीयं तत् / जास्तु गनस्तभक्तमिभनृपादत्तमपरं स्यात् / / 1 P.P. Ac. Gunratnasuri M. in Gun Aaradhak Trust ned by CamScanner

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155