Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 06
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

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Page 43
________________ भागमोबारककृतिसन्दोहे उपवासिनाखिलोपधिपर्यन्ते चोलपट्टकः प्रेक्ष्यः / अन्यैस्तु स प्रथममेव सर्वे पश्चादरजोहरणम् // 328 // वसतिं प्रमृज्य तदनु, प्रतिलिख्य स्थापनागुरुः स्थाप्यः / एक लघुवन्दनकं, दत्चा प्रेक्षेत मुखवसनम् / / 329 // तदनु लघुवन्दनेन, स्वाध्यायं मुनिजनः प्रकुर्वीत / यः सूत्रार्थग्राही, स्वाध्यायस्तस्य तु स एव // 330 // तत उपधिस्थण्डिलयोः, प्रेक्षार्थं स्यात् क्षमाश्रमणयुगलम् / तत्रैकं मन्देशेऽन्यस्तु प्रतिलेखनायां स्यात् // 331 // प्रातःसमये प्रेक्ष्यो, दशधोपधिरेव नैव पात्राणि / . यस्मात्प्रेक्षाऽवसरस्तेषामुद्घाटपौरुष्याम् // 332 // पश्चिमयामे तूपधि पात्राद्य प्रतिलिखेत्समस्तमपि / अथ पात्रकनिर्योग, सप्तविधं प्रेक्ष्य निक्षिपति // 333 / / प्रेक्षां कुर्वन् प्रत्याख्यानं, दत्ते यदि प्रमत्तो वा। वाचयति पठति च तथा, पटकायविराधको भवति // 334 औधिकमौपग्रहिकं विधिना प्रतिलिख्य सर्वमुपकरणम् / . अथ पुनरपि स्वार्थग्रहणं विदधाति मुनिवर्गः // 335 / / पश्चिमपटिकाद्वितये, कालं प्राभातिकं प्रतिक्रम्य / / ___ अथ सप्तविंशतिविधान्, प्रेक्षेत स्थण्डिलोद शान् // 336 / अधिसहमानस्यासन-मध्य-रे त्रयः स्परन्तस्ते / एवमनधिसहमानस्याप्येवं षट् बहिः षट् च // 337|| P.P.AC.Gunratnasuri M.S un Gun Aaradhak Trust ned by CamScanner

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