Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 06
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

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Page 126
________________ अनेकान्तवाद-विचारः।। (पूर्व०) यस्मात् सत्चमसचं च विरुद्ध हि मियो द्वयम् / / वस्त्वेकं सदसदूपं तस्मात् खलु न युज्यते // 1 // मेदो वा म्यादमेदो वा द्वयं वा धर्मधर्मिणोः। भेदे नैकमनेक स्यात् अभेदेऽपि न युज्यते // 2 // दयपक्षोऽपि चायुक्तो विकल्पानुपपत्तितः। तेनानेकान्तवादोऽयमः समुपकल्पितः // 3 // न च प्रत्यक्ष वेद्यं कार्यतोऽपि न गम्यते / श्रद्धागम्यं यदि परं वस्त्वेकमुभयात्मकम् // 4 // पर्यायाऽमेदतो द्रव्यं नित्यं स्यात्तत्स्वरूपवत् / स्याद्वादविनिवृत्तिश्च नानात्वे संप्रसज्यते // 5 // प्रवृत्तिनियमो न स्याद् विषादिषु तदर्थिनः। मोदकाद्ययम्भूत-सामान्याऽभेदवृत्तिषु // 6 // मेदे चोमयरूपैक-वस्तुवादो न युज्यते / भेदाभेदविकल्पस्तु विरोधेनैव वाषितः॥७॥ विशेषरूपं यत्तेषु तत्प्रवृत्तेनियामकम् / साध्वेतत्किन्नु वस्तुत्वं तस्यैवेत्थं प्रसज्यते // 8 // सर्वस्योभयरूपत्वे तद्विशेषनिराकृतेः / चोदितो दवि खादेति किमुष्ट्र नाभिधावति ? // 9 // P.P. Ac. Gunratnasuri M. un Gun Aaradhak Trust ned by CamScanner

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