Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 06
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ श्रमण-दिनचर्या पूज्ये उत्तरपूर्वे निशाचरेभ्यो भयं च याम्यायाम् / सुक्त्वा दिशा त्रयमिदं स्थाण्डलभूप्रेक्षणं कुर्यात् / / 299 / / अनापातमसंलोकं परस्यानोपघातिकम् / समं चाझुषिरं चैवाचिरकालकृतं च यत् // 30 // विस्तीर्ण दरावगाढमनासन बिलोज्झितम् / प्राणवीजत्रसत्यक्तं स्थाण्डिलं दशधा मतम् // 301 / / स्थण्डिलभुवां चतुर्विंशतिः सहस्राणि भङ्गका एषाम् / ते त्वेकशुद्धभङ्गकसहिताः परिपूर्णतां यान्ति // 302 // उभयमुखे दू राशी तत्रायो यः स आद्यसंयोगः। 5. स च संयोगो भक्तोऽधस्त्याकानन्तरेण ततः // 303 / / लब्धे भागहाराकोर्ध्वगताङ्कहते भवेदिहाङ्को यः / (स पुन द्वतीयी कः संयोगः) दशसंयुक्ता द्विशती शतद्वयी सद्विपञ्चाशत् / 304 / द्विशती दशभियुक्ताऽष्टकसंयोगे शतं सविंशतिकम् / (1) चत्वारिंशत्पश्चाधिका दशैकश्व संयोगः // 305 // एको दशपदशुद्धो द्वितीयको भङ्गः (1) / 10 45 120 210 252 210 120 45 10 1 1023 देशविशुद्धाः शेषा, भङ्गसहस्रश्चतुर्विशः // 306 // स्थण्डिलमुवामभावे कुर्वीतोचारकायिकादीनि / स्मृत्याऽऽधारद्रव्यं, धर्माधर्मास्तिकायादि // 307 // P.P. Ac. Gunratnasuri M. in Gun Aaqadhak Trust led by CamScanner

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155