Book Title: Agam Sutra Satik 04 Samavay AngSutra 04
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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समयायाङ्गसूत्रम्-१२/२५ जे देवा महिंद महिंद महिंदज्झयं कंबु कंबुग्गीवं पुंखं सुखं महापुंखं पुंडं सुपुंडं महापुंड नरिंदं नरिंदकंतं नरिंदुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उववना तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं बारस सागरोवमाई ठिई प० ते.णं देवा बारसण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उस्ससंति वा नीससंति वा तेसिणं देवाणं बारसहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पजइ।
संतेगइआ भवसिद्धिआजावीजेबारसहिं भवग्गहणेहिं सिन्झिस्संति बुझिस्संतिमुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति।
वृ. तथा 'विजयराजधानी' असङ्ख्याततमे जम्बूद्वीपे आद्यजम्बूद्वीपविजयाभिधानपूर्वद्वाराधिपस्य विजयाभिधानस्य पल्योपमस्थितिकस्य देवस्य सम्बन्धिनीति, तथा रामोनवमो बलदेवः 'देवत्वं गए'त्ति देवत्वं-पच्चमदेवलोके देवत्वं गतः।
तथा सर्वजघन्यारात्रिरुत्तरायणपर्यन्ताहोरात्रस्य रात्रि, साचद्वादशमौहूर्तिकाचतुर्विशतिघटिकाप्रमाणा, एवं दिवसोऽवि तिसर्वजघन्योद्वादशमौहूर्तिक एवेत्यर्थः, सच दक्षिणायनपर्यन्त दिवस इति ॥ माहेन्द्रमाहेन्द्रध्वजम्बुकम्बुग्रीवादीनि त्रयोदश विमाननामानीति।
समवायः - १२ समाप्तः
(समवायः-१३) मू. (२६) तेरस किरियाठाणा प०२० -अट्ठादंडे अणट्ठादंडे हिंसादंडे अकम्हादंडे दिद्धिविपरिआसिआदंडे मुसावायवत्तिए अदिन्नादानवत्तिए अज्झथिए मानवत्तिए मित्तदोसवत्तिए मायावत्तिए लोभवत्तिए इरिआवहिए नाम तेरसमे।
. सोहम्मीसाणेसुकप्पेसुतेरस विमाणपत्थडाप०, सोहम्मवडिंसगेणं विमाणेणं अद्धतेरसजोयणसयहस्साई आयामविक्खंभेणं प०, एवं ईसाणवडिंसगेवि।
जलयरपंचिंदिअतिरिक्खजोणिआणं अद्धतेरस जाइकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्साई प०, पाणाउस्स णं पुव्वस्स तेरस वत्यू प०, गब्भ वकंति अपंचेंदिअतिरिक्खजोणिआणं।
तेरसविहेपओगे प० तं० -सच्चमणपओगेमोसमणपगेसच्चामोसमणओगेअसच्चामोसमणपओगे सच्चवइपओगे मोसवइपओगे सच्चामोसवइपओगे असच्चामोसवइपओगे ओरालिअसरीकायपओगे ओरालिअमीससरीरकायपओगे घेउबिअसरीरकायपओगे वेउब्विअमीससरीरकायपओगे कम्मसरीरकायपओगे।
सूरमंडलं जोयणेणं तेरसेहिं एगसहिभागेहिं जोयणस्स ऊणं प।
इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेरस पलिओवमाइं ठिईप०, पंचमीए पुढवीए अत्यंगति याणं नेरइयाणं तेरस सागरोवमाइं ठिई प, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं तेरस पलिओवमाई ठिई प०।
सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइआणं देवाणं तेरस पलिओवमाइं ठिईप०, लंतए कप्पे अस्थेगइआणं देवाणं तेरस सागरोवमाइंठिईप०, जे देवा वजंसुवजं वज्जप्पभंवज्जकंतवज्जवण्णं वजलेसं वज्रसिंगं वज्रसिटुं वजकूड वजुत्तरवडिंसगंवइरंवइरावत्तं वइरप्पभं वइरकतं वइरवण्णं वइरलेसं वइररूवं वइरसिंगंवइरसिद्धं वइरकूडं वइरुत्तरवडिसंगंलोगंलोगावत्तं लोगप्पमलोगकंतं
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