Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kunvarji Anandji Shah
Publisher: Kunvarji Anandji Shah Bhavnagar
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सूर्यनी जेम कुमत-मिथ्यात्वरूपी अंधकारनो नाश करता भने भव्य प्राणीमोरूपी कमळोने विकस्वर करता स्वामी चिरकाळ | | मुधी पृथ्वीपर विचर्या.
___श्री शांतिनाथ स्वामीने बासठ हजार साधुओ, एकसठ हजार भने छ सो साध्वीओ, बे लाख ने नेवु हजार श्रावको Hi तथा ऋण लाख ने त्राणुं हजार श्राविकामो, एटलो गुणना सागर समान चतुर्विध संघनो परिवार थयो, ते चार दिशामा
चार प्रकारना धर्मनी प्रभावना करनार हतो. दीक्षाना दिवसथी पचीश हजार वर्ष गया त्यारे भगवान विहारना क्रमे || संमेतशिखरपर पधार्या. त्यां भगवाने नव सो साधुश्री सहित अनशन ग्रहण कयु, अने एक मासे शांतिनाथ स्वामी सिद्धि
पदने पाम्या. पचीश हजार वर्ष कुमारपणामां, पाश हजार मांडलिकपणामां, पचीश हजार चक्रवर्तीपणामां अने पचीश | हजार वर्ष चारित्रमा ए रीते परिपूर्ण एक लाख वर्षतुं प्रभुनु प्रायुष्य हतुं. त्रण जगतना दुःखने शांत करनार श्री शांति| नाथना निर्वाणनो महिमा सुरेंद्रोए अने असुरेंद्रोए आवीने कर्यो. अनुक्रमे केवळज्ञान पामेला श्री चक्रायुद्ध गणधर पण सिद्धिवधूने वर्या.
इति श्रीशांतिनाथ चरित्र. इक्खागरायवसभो, कुंथ नाम नैराहियो ।
विक्खायकित्ती भयवं, पेत्तो गैइम[त्तरं ॥ ३९ ॥ अर्थ-(इक्खागरायवसभो) इक्ष्वाकु वंशना राजाभोमां वृषभ समान (कुंथू) कुथु (नाम) नामना (नराहियो) चक्रवर्ती