Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kunvarji Anandji Shah
Publisher: Kunvarji Anandji Shah Bhavnagar
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-IT दीक्षा रे संसारी सार के ।। गुरु आदेशे अनुक्रमे, पुहातले रे करे उग्र विहार के ।। ध० ॥ ८ ॥ मार्गे एक मुनिवर मळ्यो, नी तेह साथै रे करे धर्मविचार के ।। जिनदीक्षा पामी तर्यो, भरतेश्वर रे चक्री सनत्कुमार के ।। ३० ॥ ६ ॥ सगर मघव संती। अरो, कुंथु पद्म अने हरिषेण नरिंद के ॥ जपचक्री नगइ नमी, करकंडू रे दोमुह मुणिचंद के ॥ ३०॥ १० ॥ मइबल * राय उदायणा, बळी राजा रे दशार्णभद्र के ॥ नाण क्रिया पोते करी, ए तो तरीया रे संसार समुद्र के।। ध० ॥११॥ विजय जयदेव सूरीश्वरू, पट्टोघर रे विजयसिंह गुणखाण के।। उदयविजय कहे ए कह्यो, अध्ययने र अढारमे जाय के धा१२|| |
अथ एकोनविंश मृगापुत्राध्ययन सज्झाय. १६.
___ शारद बुधदायी सेवक || ए देशी ।। ढाल ।। सुग्रीव नयर वर, वन बाडी आराम || बळभद्र नरेश्वर, राज करे गुणधाम ॥ इंद्राणी सरखी, राणी मृगा अभिराम || | मकरध्वज सुंदर, कुंवर बलश्री नाम ।। १॥त्रु०॥ बलश्री नाम कुंवर अति सुंदर, जील्यो कामविकार ॥ संयम लेइ कर्म
खपेड़, पाम्यो भवजल पार ॥ प्रोगणीशमे अध्ययने जिनवर, वीर दीये उपदेश ॥ भणता गुणता भव भवना, नासे पाप क्लेश ॥२ढाला। एक दिन वर मंदिर, अंतेउर परिवार ॥ परवरीयो पेखे, नयर मझार कुमार ॥ दीठो तब मुनिवर, ईयाए
मलपंत ।। तस ऊहापोहे, जाति स्मरण हुंत ॥ ३ ॥ त्रु.॥ जातिस्मरण पामी देखें, पूर्वभव संबंध ॥ पंच महायत सांभरे !ि वळी, चउ गइ दुःख प्रबंध ॥ मातपिता आगळ जह योले, दुःख अनंतीवार ॥ जे जे में पाम्यां ते कहेतां, किमही न आने
पार ॥ ॥ ढाल ।। संसार असार ए, दीसे मळभंडार ॥ शंपल विण वाटे. जातां दुःख दातार ॥ बहु जन्म भरण भय,