Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kunvarji Anandji Shah
Publisher: Kunvarji Anandji Shah Bhavnagar
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वर्षमा वहन कराय छे, पछीनी वे एटले प्रीजी अने चोथी प्रतिमा एक एक वर्षे करवामां आवे थे, भने पछीनी त्रण एटल। | पांचमी, छठी अने सातमी प्रतिमा अन्य अन्य वर्षे करवामां आवे छे एटले के एक वर्षे प्रतिमा अने बीजे वर्षे परिकर्म ए रीते आ त्रण प्रतिमा छ वर्षे थाय छे. कुल सात प्रतिमा नव वर्षे पूरी थाय छे. या प्रतिमा अंगीकार करनारने जघन्यधी | प्रत्याख्यान नामना नवमा पूर्वनी भाचार नामनी त्रीजी वस्तु सुधीन सत्रार्थ ज्ञान हो जोइए. अने उत्कर्षथी काइक अोछा दश पूर्वनुं सूत्रार्थ ज्ञान होवू जोइए. संपूर्ण दश पूर्वना ज्ञानवाळानो उपदेश सफळ ज होय छे तेथी ते धर्मोपदेशवडे भव्य प्राणीमोनो उपकार करी शासननी प्रभावना करता होवार्थी प्रतिमा बहन फरता नथी, अने नवमा पूर्वनी त्रीजी वस्तु सुश्रीनुं ज्ञान न होय तो ते अतिशय ज्ञानवाळा न होवार्थी काळादिक जाणी शकता नथी, तेथी ते पण प्रतिमा वहन करवाने योग्य नथी." तथा___“चोसढचत्तदेहो, उयसग्गसहो जहेब जिणकप्पी । एसण अभिग्गहीश्रा, भत्तं च अलेवडं तम्स ॥" ___“प्रतिमाधारी मुनि परिकर्मना अभावथी चोसिसन्युं छे अने ममताना श्रभावथी तज्यूं के शरीर जेणे एवो सतो जिन| कल्पीनी जेम उपसर्गने सहन करनार थाय थे. वळी तेमने पूर्व संसृष्टादिक सात प्रकारनी एषणा कही छे तेनो अभिग्रह
होवो जोइए. ते या प्रमाणे.--भाउपाणीनी सान एषणामाथी छली चार ज ग्रहण करवानी के तेमां पण पहेली बेनुं (सं. | सृष्ट बने असंसृष्टर्नु ) ग्रहण नथी. अमुक दिवसे छल्ली पांच एपणामांधी बेनो अभिग्रह करे. तेमा एक भोजननी भने एक
? संसृष्ट, असंसृष्ट, उम्धृत, अल्पलेप, उदगृहीत, प्रगृहीत अने उज्झितधर्मा.