Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Part 02
Author(s): Kunvarji Anandji Shah
Publisher: Kunvarji Anandji Shah Bhavnagar
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एक मासे मोक्षपद पाया. ते चखते सर्व देवेंद्रो भावी प्रभुना निर्वाण कन्यानी महिमा कयों. इति श्री अरनाथ कथा.
चता भारहं वा
चक्की महिडीओ | चईता उत्तमे भोष, महापडमो तवं चैरे ॥ ४१ ॥ अर्थ - ( मारहं वासं ) भरत क्षेत्रनो ( चइता ) त्याग करी तथा ( उत्तमे भोए) उत्तम भोगोने ( चइत्ता ) वजी ( महापमो ) महापद्म नामना (महिडीओ) मोटी ऋद्धिवशळा ( चक्काट्टी ) चक्रवर्तीए पण ( तवं चरे ) तपनुं श्राचरण कर्यु - घरित्र ग्रहण कर्यु. ४१
महापद्म चीनी संक्षिप्त कथा.
श्री जंबूद्वीपना भरत क्षेत्रने विषे श्रीहस्तिनापुर नामनुं पुर छे. तेमां इक्ष्वाकु वंशरूपी सरोवरमा पद्म समान पद् मोत्तर नामे राजा राज्य करतो हतो. तेने ज्वाळा नामनी जिनधर्मने विषे रक्त राखी इती. तेणीने सिंहना स्वप्नथी after at विष्णु नामे एक पुत्र थयो, तथा बीजो लक्ष्मीना घररूप महापद्म नामे पुत्र थयो बीजो पुत्र गर्भमां काव्यो त्यारे तेनी माता चौद महास्वप्नो जायां हर्ता. ते बम कुमारी अनुक्रमे वृद्धि पामी कळाचार्य पासे समग्र कळानो समूह fit अनुपम शोमाना मित्र समान बीजी वयने एटले युवावस्थाने पाम्या, तेमां महापद्मकुमार पधारे पराक्रमी द्रोपाथी पमोचर राजाएं देने युबराज पदवी आपी. कारण के ब्राह्मणोमां जे बुद्धिमान होय भने चत्रियोमर्श के अपने
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